भारत के कुछ ऐसे शहर जहाँ नहीं होता रावण दहन बल्कि मनाया जाता है शोक
भारत में ऐसी कई जगहें हैं जहां रावण के पुतले को जलाया नहीं जाता। क्योंकि रावण को ग्रह पर सबसे बुद्धिमान प्राणियों में से एक के रूप में जाना जाता था इसलिए कुछ जगहों पर लोग पुतले को जलाने के बजाय उसकी पूजा करते हैं।
भारत के कुछ ऐसे शहर जहाँ नहीं होता रावण दहन बल्कि मनाया जाता है शोक
भारत में ऐसी कई जगहें हैं जहां रावण के पुतले को जलाया नहीं जाता। क्योंकि रावण को ग्रह पर सबसे बुद्धिमान प्राणियों में से एक के रूप में जाना जाता था इसलिए कुछ जगहों पर लोग पुतले को जलाने के बजाय उसकी पूजा करते हैं।
भारत में इस वक्त त्योहारों का मौसम चल रहा है, नवरात्र के समाप्त होने के साथ ही अब दशहरा मनाया जाएगा। इस साल दशहरा 5 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान राम इस दिन रावण को मारकर अयोध्या लौटे थे। लोग रावण के पुतले जलाकर त्योहार मनाते हैं, लेकिन क्या आप जानते है भारत में कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जहां दशहरा पर पुतले जलाने जैसी कोई परंपरा नहीं है।
रावण राक्षस राजा था, लेकिन साथ ही वह बुद्धिमान प्राणियों में से एक था, इसलिए उसका पुतला जलाने के बजाय कुछ जगहों पर लोग रावण की पूजा करते हैं।
कर्नाटक में कोलार जिला और मालवल्ली शहर दो ऐसी जगहे हैं, जहां रावण के मंदिर हैं। राज्य में एक मछुआरा समुदाय लंका के राजा की पूजा करने के लिए जाना जाता है। यह भी माना जाता है कि अगर रावण का पुतला जलाया जाता है, तो आग लगने का खतरा होता है। आग फसलों को नष्ट या नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए कुछ लोग डर के मारे भी पुतले नहीं जलाते।
•मंडोर, जोधपुर एक ऐसी जगह है जहां रावण दहन नही होता, ऐसा माना जाता है कि रावण ने मंदोदरी के साथ विवाह की कुछ रस्में इस कस्बे में की थीं, इसलिए कुछ ब्राह्मण उसे अपना दामाद मानते हैं। कुछ पुजारी रावण के लिए श्राद्ध और पिंडदान भी करते हैं। इसी तरह, मध्य प्रदेश में मंदसौर को मंदोदरी का पैतृक घर माना जाता है और इसलिए वहां के लोग उनके पति का पुतला नहीं जलाते |
•दूसरा स्थान बैजनाथ है, बैजनाथ में लोग भगवान शिव की भक्ति के लिए रावण का सम्मान करते हैं। यह भी माना जाता है कि जो लोग रावण का पुतला जलाते हैं, उन्हें भगवान शिव के क्रोध का सामना करना पढ़ता है |
•इसी प्रकार बिसरख एक छोटा सा गांव है, जहां लोग मानते हैं कि रावण का जन्म हुआ था। वे रावण को ‘महा-ब्राह्मण’ मानते हैं और जश्न मनाने के बजाय, वे नौ दिनों तक उनकी मृत्यु का शोक मनाते हैं।
•कानपुर के शिवला में भगवान शिव के एक मंदिर में रावण को समर्पित एक और मंदिर भी है, जिसे दशानन मंदिर कहा जाता है। वहां भक्त रावण की पूजा कर मन और आत्मा की पवित्रता के लिए प्रार्थना करते हैं।