“पिंकी बनी डॉक्टर,पिता मोची, मां भिक्षा मांगने वाली:अब करेगी गरीबों की मदद”
पिंकी हरयान, जो कभी भीख मांगती थी, अब एक चिकित्सक बन गई हैं।पिंकी ने अपनी सफलता का श्रेय लोबसांग जामयांग और टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट की पूरी टीम को दिया।
पिंकी हरयान: एक नई सुबह की कहानी
पिंकी बनी डॉक्टर, धर्मशाला में तिब्बती शरणार्थी एवं टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक भिक्षु लोबसांग जामयांग ने हमेशा से जरूरतमंद बच्चों का भविष्य संवारने का संकल्प लिया। उनके प्रयासों से पिंकी हरयान, जो कभी भीख मांगती थी, अब एक चिकित्सक बन गई हैं।
शुरूआत की मुश्किलें
पिंकी के माता-पिता पहले उनकी पढ़ाई के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन बाद में उन्होंने सहमति दी। पिंकी ने बताया कि जब वह छात्रावास में रहने लगी तो अपने परिवार की बहुत याद आई, लेकिन धीरे-धीरे अन्य बच्चों के साथ वह वहां की माहौल में समाहित हो गई। जामयांग ने पिंकी का दाखिला धर्मशाला के दयानंद मॉडल स्कूल में कराया, जहां उसने जमा दो तक पढ़ाई की।
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लोबसांग जामयांग का योगदान
लोबसांग जामयांग बच्चों को सिर्फ पैसे कमाने की मशीन बनाने की बजाय अच्छा इंसान बनाते हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के लिए समर्पित कर दी है। आज, जो बच्चे भीख मांगते थे, वे डॉक्टर, इंजीनियर, पत्रकार और होटल मैनेजर बन चुके हैं।
पिंकी की सफलता
पढ़ाई में हमेशा से बहुत अच्छी थी। जमा दो की पढ़ाई के बाद उसने नीट परीक्षा भी उत्तीर्ण की, लेकिन उसके लिए सरकारी कॉलेज में फीस बहुत अधिक थी। तब जामयांग ने हरयान को चीन के एक प्रतिष्ठित मेडिकल विश्वविद्यालय में दाखिला दिलवाया। वहां उसने छह साल एमबीबीएस की पढ़ाई की और अब वह धर्मशाला लौट आई है।
परिवार की स्थिति
परिवार ने बताया कि जब वह छात्रावास में रहने लगी, तो उसने अपनी मां को भी भीख मांगने से मना किया। उसके पिता ने बूट पॉलिश का काम छोड़कर गलियों में सामान बेचना शुरू किया। अब उसका छोटा भाई और बहन भी टोंगलेन स्कूल में पढ़ते हैं।
पिंकी की कृतज्ञता
पिंकी ने अपनी सफलता का श्रेय लोबसांग जामयांग और टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट की पूरी टीम को दिया। उनकी मेहनत और यह सफलता दिलाई, और अब वह चाहती है कि वह भी गरीबों की मदद कर सके।