चमोली त्रासदी में फंसे लोगों ने कही ऐसी बात, जानकर रोक नहीं पाएंगे अपने आंसू
नई दिल्ली
उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को फ्लैश फ्लड के बाद अब तपोवन सुरंग में राहत और बचाव कार्य में खासी दिक्कत आ रही है। ऋषिगंगा नदी में पानी बढ़ने से फिलहाल बचाव का काम रोक दिया गया है। निचले इलाकों को खाली कराने के आदेश दिए गए हैं। इस बीच सुरंग के अंदर जो लोग फंसे हैं, उनके परिजनों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
सुरंग के बाहर मौजूद परिजनों का रो-रोकर हाल बेहाल है। गुरुवार को जब उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य घटनास्थल पर पहुंची तो पीड़ितों का गुस्सा फूट पड़ा। हाथ जोड़े खड़े एक पीड़ित ने बेहद गुस्से में गवर्नर से कहा, “हम घर पर क्या मुंह दिखाएंगे कि हमारे परिजन मर गए है वहां पर… हम पांच दिन से मैडम रो रहे हैं।’ जब गवर्नर ने अन्य राज्यों से बेहतर मशीनें लाने की बात कही तो लोग और बिफर गए।
गवर्नर ने वहां मौजूद लोगों से कहा, “हम और रास्ते निकल रहे हैं कि टनल में जल्दी से जल्दी जाएं और जो फंसे हुए हैं, उन्हें निकाल लें। कुछ संसाधन मुंबई से आ रहे हैं, कुछ हिमाचल से आ रहे हैं। कल शाम तक पहुंचने की उम्मीद है।
ये काम नहीं कर रहे हैं इसलिए और जो आगे की तकनीक है, उसे ला रहे हैं। इतनी तसल्ली तो आप लोगों को करनी पड़ेगी। मैं भी आपके साथ हूं, मुझे अच्छा नहीं लग रहा कि आपके परिजन फंस गए।” इसपर एक शख्स ने कहा, “मैम, पांच दिन हो गए। आप कह रहे हो कि मुंबई, हिमाचल से मशीन आ रही है, आज तक तो आ जानी चाहिए।”
सुरंग के मुंह से बुधवार तक करीब 120 मीटर मलबा साफ किया जा चुका था। ऐसा बताया जा रहा है कि लोग 180 मीटर की गहराई पर कहीं फंसे है, जहां से सुरंग मुड़ती है। सुरंग में फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस बीच गुरुवार को ऋषिगंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से बचाव कार्य रोकना पड़ गया। चमोली पुलिस ने दोपहर करीब ढाई बजे जानकारी दी कि नदी के आस-पास रहने वाले लोगों को अलर्ट किया जा रहा है। सुरंग के पास से मशीनों को हटा लिया गया है।
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तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को निकालने में आ रही दिक्कतों की वजह से रणनीति बदलनी पड़ रही है। रिमोट सेंसिंग से लेकर ड्रिलिंग तक हर तकनीक अपनाई जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि जिस सुरंग में लोगों के फंसे होने का अनुमान लगाया जा रहा है वह दरअसल कई सुरंगों का एक जाल है जिसमें कई सुरंगें या तो 90 डिग्री पर नीचे मुड़ती हैं या फिर कोण बनाकर दायें और बायें चली जाती हैं।
वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ कलाचंद साईं का कहना है कि रविवार को हुई घटना के बारे में वैज्ञानिकों को पता चला है कि 5,600 मीटर की ऊंचाई से एक चट्टान गिरी। नीचे का सपोर्ट गिर जाने से ग्लेशियर भी गिर गया। उस इलाके में पहाड़ियां बेहद तीखे स्लोप वाली हैं। जब चट्टान और ग्लेशियर की बर्फ नीचे गिरी तो वहां के पेड़-पौधे और मिट्टी से मिल गई और फिर वह सब नीचे नदी में आ गया। साईं ने कहा कि उनकी टीम ने सैम्पल कलेक्ट कर लिए हैं।