पेगासस बनाने वाली कंपनी ने कहा- इसकी वजह से लाखों सुरक्षित, सो पाते हैं चैन की नींद

निगरानी सॉफ्टवेयर पेगासस को लेकर विवादों के बीच इजराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप ने अपना बचाव करते हुए दावा किया है कि खुफिया और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को टेक्नॉलजी उपलब्ध कराने के कारण दुनिया में लाखों लोग रात में चैन की नींद सो पाते हैं और सुरक्षित हैं।

कंपनी ने यह भी कहा कि वह टेक्नॉलजी ऑपरेट नहीं करती है और न ही उसके पास अपने ग्राहकों द्वारा एकत्र किए गए डेटा तक पहुंच है। भारत समेत कई देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, नेताओं और अन्य लोगों की पेगासस से जासूसी को लेकर आई रिपोर्ट ने विवाद पैदा किया है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ के मुताबिक इजराइली कंपनी द्वारा विभिन्न सरकारों को बेचे गए स्पाईवेयर के जरिए नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों समेत अन्य लोगों को निशाना बनाया गया।

एनएसओ के एक प्रवक्ता ने दावा किया, ”पेगासस और ऐसी अन्य तकनीक के कारण ही दुनिया में लाखों लोग रात को चैन की नींद सो पाते हैं और सड़कों पर सुरक्षित निकल पाते हैं। इस तरह की प्रौद्योगिकी से खुफिया और कानून लागू करने वाली एजेंसियां इनक्रिप्टेड ऐप के तहत छिपाई गई सूचनाओं का पता लगाकर अपराध, आतंकवादी घटनाओं को रोक पाती हैं।”

कंपनी ने कहा, ”दुनिया में कई अन्य साइबर खुफिया कंपनियों के साथ एनएसओ सरकारों को साइबर सुरक्षा उपकरण मुहैया कराती है क्योंकि कानून लागू करने वाली एजेंसियों के पास पुख्ता प्रणाली नहीं होती और मैसेजिंग और सोशल मीडिया पर संदिग्ध विषयवस्तु की निगरानी के लिए नियामकीय समाधान नहीं हैं।” दुनियाभर में जारी इस जासूसी सॉफ्टवेयर पर विवाद पर प्रवक्ता ने कहा, ”एनएसओ तकनीक का संचालन नहीं करती है और न ही हमारे पास एकत्र किए गए डेटा को देखने की सुविधा है। उन्होंने कहा, ”हम एक सुरक्षित दुनिया बनाने में मदद करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।”

सॉफ्टवेयर के दुरुपयोग को लेकर पहली बार भारत में यह मुद्दा सामने आने पर एनएसओ ने अक्टूबर 2019 में एक लिखित जवाब में कहा था कि ”अनुबंध के तहत गंभीर अपराध और आतंकवाद को रोकने के सिवा किसी अन्य मामले में हमारे उत्पाद के इस्तेमाल पर निषेध है। यदि हमें (सॉफ्टवेयर के) किसी दुरुपयोग का पता चलता है तो हम कार्रवाई करते हैं। यह तकनीक मानव अधिकारों की सुरक्षा में निहित है। इसमें जीवन का अधिकार, सुरक्षा और अखंडता शामिल है। हमने व्यापार और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों को मानने की मांग की है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे उत्पाद सभी मौलिक मानवाधिकारों का सम्मान करे। कंपनी ने कहा कि यह रुख आज भी बरकरार है।”

अफगानिस्तान में बढ़ रहा तालिबानी खतरा, दूतावास ने भारतीयों को सर्तक रहने को कहा

भारत सरकार ने अफगानिस्तान में रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए सुरक्षा एडवाइजरी जारी की है। यह एडवाइजरी 29 जून को साझा किए गए एडवाइजरी को दोहराती है। भारत सरकार ने कहा है कि अफगानिस्तान के कई प्रांतों में सुरक्षा की स्थिति खतरनाक बनी हुई है। अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों ने नागरिकों को निशाना बनाने सहित हिंसक गतिविधियों को तेज कर दिया है। भारतीय नागरिक अपवाद नहीं है और अपहरण का गंभीर खतरा है। टारगेट करके हमले किए जा रहे हैं। ऐसे में आवाजाही के दौरान उचित ध्यान रखने की जरुरत है।

मामले को लेकर अफगानिस्तान में स्थित भारतीय एंबेसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर पेज से ट्वीट करके जानकारी दी है।

भारत सरकार ने अफगानिस्तान में रहने वाले और काम करने वाले सभी भारतीय नागरिकों को सलाह दी है कि ऑफिस, घर या कहीं भी जाने को लेकर अत्यधिक सतर्कता बरती जाए। भीड़-भाड़ से बचने और यात्रा के दौरान सैन्य काफिले और सरकारी वाहनों से दूरी बनाए रखने को कहा गया है। इसके साथ ही घर से कम से कम बाहर निकलने की अपील की गई है। इसके साथ ही प्रमुख शहरों की यात्रा से बचने की सलाह दी गई है।

भारत सरकार ने अफगानिस्तान आने वाले हरेक भारतीय को eoi।gov।in/kabul पर या ईमेल द्वारा paw।kabul@mea।gov।in पर दूतावास/वाणिज्य दूतावास पर रजिस्टर करने को कहा है। ऐसे लोग जो अफगानिस्तान में रह रहे हैं लेकिन अब तक रजिस्टर नहीं किए हैं, उनसे भी रजिस्टर करने को कहा गया है। अफगानिस्तान में काम कर रही भारतीय कंपनियों को सलाह दी गई है कि वे प्रोजेक्ट साइट पर तैनात भारतीय कर्मचारियों की विशेष सुरक्षा व्यवस्था करें।

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