पेगासस: जानिए कितना खतरनाक है जासूसी सॉफ्टवेयर, मिस कॉल से भी…
इस्राइली जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस फोन में एक सामान्य व्हाट्सएप कॉल से भी पहुंच सकता है। जिसको कॉल की गई है, वह जवाब दे या न दे, उसके फोन में यह पहुंच जाएगा। यह फोन में विभिन्न लॉग एंट्री डिलीट कर देता है, जिससे इसकी मौजूदगी का पता नहीं चलता। इसके विभिन्न पहलुओं को इस प्रकार समझें…
वर्ष 2013 से अस्तित्व में
इस्राइली कंपनी एनएसओ ने पेगासस को विकसित करने के बाद विभिन्न देशों की सरकारों को बेचना शुरू किया। 2013 में सालाना 4 करोड़ डॉलर कमाने वाली इस कंपनी की कमाई 2015 तक करीब चार गुना बढ़ 15.5 करोड़ डॉलर हो गई। सॉफ्टवेयर काफी महंगा माना जाता है, इसलिए सामान्य संगठन और संस्थान इसे खरीद नहीं पाते।
2016 में पहली बार अरब देशों में काम कर रहे कार्यकर्ताओं के आईफोन में इसका इस्तेमाल उजागर हुआ। बचाव के लिए एपल ने तत्काल आईओएस अपडेट कर सुरक्षा खामियां दूर कीं। एक साल बाद एंड्रॉयड में भी पेगासस से जासूसी के मामले सामने आने लगे। 2019 में फेसबुक के सुरक्षा विशेषज्ञों ने पेगासस को एक बड़ा खतरा बताते हुए केस दायर किया। इसी दौरान व्हाट्सएप ने भारत में कई कार्यकर्ता और पत्रकारों के फोन में इसके उपयोग का खुलासा किया।
पूरा फोन गिरफ्त में
यह यूजर के मैसेज पढ़ता है, फोन कॉल ट्रैक करता है, विभिन्न एप और उनमें उपयोग हुई जानकारी चुराता है।
लोकेशन डाटा, वीडियो कैमरे का इस्तेमाल व फोन के साथ इस्तेमाल माइक्रोफोन से आवाज रिकॉर्ड करता है।
एंटीवायरस बनाने वाली कंपनी कैस्परस्की के अनुसार पेगासस एसएमएस, ब्राउजिंग हिस्ट्री, कांटैक्ट और ई-मेल तो देखता ही है फोन से स्क्रीनशॉट भी लेता है।
इन जानकारियों को यह लीक कर जासूसी करता है। यह गलत फोन में इंस्टॉल हो जाए तो खुद को नष्ट करने की क्षमता भी रखता है। इसे स्मार्ट स्पाइवेयर भी कहा गया है, क्योंकि यह हालात के अनुसार जासूसी के लिए नए तरीके अपनाता है।