यूपी पुलिस के कांवड़ यात्रा आदेश पर पवन खेड़ा का हमला, बोले- “क्या हिंदुओं का बेचा मीट दाल-भात बन जाता है?”

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर राज्य की पुलिस के आदेश ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस आदेश पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, "क्या हिंदुओं का बेचा गया मीट, दाल-भात बन जाता है?"

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर राज्य की पुलिस के आदेश ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस आदेश पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “क्या हिंदुओं का बेचा गया मीट, दाल-भात बन जाता है?”

दरअसल, बुधवार (18 जुलाई) को मुजफ्फरनगर जिले में पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग के संबंध में एक आदेश जारी किया, जिसमें सभी भोजनालयों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर मालिकों के नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया। इस आदेश का उद्देश्य धार्मिक जुलूस के दौरान भ्रम से बचना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। इस पर पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो जारी कर यूपी सरकार की आलोचना की।

पवन खेड़ा ने क्या कहा?

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “कांवड़ यात्रा के रूट पर फल-सब्ज़ी विक्रेताओं और रेस्टोरेंट-ढाबा मालिकों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना आवश्यक होगा। यह मुसलमानों या दलितों के आर्थिक बहिष्कार की दिशा में उठाया कदम है, यह हमें नहीं पता। जो लोग यह तय करना चाहते थे कि कौन क्या खाएगा, अब वे यह भी तय करेंगे कि कौन किससे क्या खरीदेगा।”

खेड़ा ने आगे सवाल उठाते हुए कहा, “जब इस आदेश का विरोध किया गया तो वे कहते हैं कि जब ढाबों के बोर्ड पर ‘हलाल’ लिखा जाता है, तब तो आप विरोध नहीं करते। इसका जवाब यह है कि जब किसी होटल के बोर्ड पर ‘शुद्ध शाकाहारी’ भी लिखा होता है, तब भी हम होटल के मालिक, रसोइये, वेटर का नाम नहीं पूछते। किसी रेहड़ी या ढाबे पर ‘शुद्ध शाकाहारी’, ‘झटका’, ‘हलाल’ या ‘कोशर’ लिखा होने से खाने वाले को अपनी पसंद का भोजन चुनने में मदद मिलती है। लेकिन ढाबा मालिक का नाम लिखने से किसे क्या लाभ होगा? भारत के बड़े मीट एक्सपोर्टर हिंदू हैं। क्या हिंदुओं का बेचा गया मीट, दाल-भात बन जाता है? इसी तरह, क्या किसी अल्ताफ या रशीद के बेचे गए आम-अमरूद गोश्त बन जाएंगे?” खेड़ा के इन बयानों के बाद राजनीतिक विवाद और बढ़ गया है और लोग इस आदेश पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

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