पटना : रामा सिंह को शामिल करने के विरोध में राबड़ी आवास के बाहर हंगामा
पटना। बिहार के हाजीपुर और वैशाली इलाके के कद्दावर दबंग नेता और लोजपा के पूर्व सांसद रामा सिंह की भी इंट्री राजद में लगभग तय हो गई है। इसकी भनक लगते ही राजद में उनका विरोध भी शुरू हो गया है। सोमवार को वैशाली से आए डॉ मुकेश रंजन के समर्थकों ने रघुवंश बाबू का फोटो लेकर राबड़ी देवी के आवास के बाहर हंगामा किया । रामा सिंह को राजद में शामिल करने का विरोध करते हुए हंगामा करने वालों ने कहा कि पार्टी में रामा सिंह जैसे लोगों को शामिल करने का गंभीर परिणाम पार्टी को भुगतना पड़ेगा। उनका कहना था कि रघुवंश बाबू की अन्तिम इच्छा थी कि रामा सिंह राजद में शामिल नहीं हो ।हम लोग उनकी अन्तिम इच्छा पूरी करने के लिए अन्तिम दम तक लड़ते रहेंगे।
दरअसल, रामा सिंह को राजद में शामिल किया जाना तय हो गया था। लेकिन, पार्टी के वरिष्ठ और दिवंगत नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के विरोध के कारण ऐसा नहीं हो सका । लेकिन, रघुवंश बाबू के निधन के बाद रामा सिंह को राजद में शामिल करने का रास्ता साफ हो गया । यही कारण है कि रविवार की शाम और सोमवार की सुबह बाहुबली नेता रामा सिंह पटना स्थित राबड़ी आवास पर तेजस्वी यादव से मिलने पहुंचे थे। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद पटना में तेजस्वी यादव ने बंद कमरे में दोनों दावेदारों को आमने-सामने बिठाकर बात की लेकिन 6 घंटे की बातचीत के बाद भी महनार सीट का हल नहीं निकल सका। पार्टी से जुड़े सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक दोनों दावेदारों को राबड़ी आवास फिर बुलाया गया है जहां सीट पर दावेदारी के साथ ही रामा की राजद में इंट्री का भी रास्ता साफ होगा।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पटना में राबड़ी आवास में रामा सिंह और तेजस्वी यादव के बीच लंबी मुलाकात हुई। दरअसल पार्टी में शामिल होने से पहले रामा सिंह महनार सीट पर राजद से भरोसा चाहते हैं। सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक महनार के साथ-साथ लालगंज सीट की भी रामा सिंह ने तेजस्वी यादव से मांग की है लेकिन महनार सीट पर रामा सिंह का पेच डॉ मुकेश रंजन ने फंसा दिया है और वो भी महनार से ताल ठोक रहे हैं।
मुकेश राय आरजेडी के कद्दावर नेता विशुनदेव राय के भतीजे हैं। डॉ मुकेश रंजन के समर्थक रघुवंश बाबू का फोटो लेकर सोमवार की सुबह से रामा सिंह का विरोध कर रहे हैं। मुकेश रंजन का दावा है कि महनार में 58 हजार यादवों के साथ ही रघुवंश बाबू के परिवारवालों का भी उनको समर्थन प्राप्त है।