Patna हाई कोर्ट का स्टे: पशुपति पारस की पार्टी को राहत
Patna हाई कोर्ट से एक महत्वपूर्ण राहत मिली है। भवन निर्माण विभाग द्वारा जारी नोटिस में उनकी पार्टी के पटना स्थित कार्यालय को सात दिनों के अंदर खाली करने का निर्देश दिया गया था।
Patna हाई कोर्ट का स्टे: पशुपति पारस की पार्टी को राहत
पृष्ठभूमि
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को Patna हाई कोर्ट से एक महत्वपूर्ण राहत मिली है। भवन निर्माण विभाग द्वारा जारी नोटिस में उनकी पार्टी के पटना स्थित कार्यालय को सात दिनों के अंदर खाली करने का निर्देश दिया गया था। इस आदेश के खिलाफ आरएलजेपी ने कोर्ट का सहारा लिया, और अंततः उन्हें 15 दिनों का समय मिल गया है।
कोर्ट का आदेश
29 अक्टूबर 2024 को पटना हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने लंबी बहस के बाद फैसला सुनाया। कोर्ट ने भवन निर्माण विभाग द्वारा दिए गए नोटिस पर स्टे ऑर्डर जारी किया है, जिससे आरएलजेपी को 13 नवंबर 2024 तक अपने कार्यालय को खाली नहीं करना पड़ेगा। इस निर्णय ने पार्टी के नेताओं में राहत की लहर पैदा की है।
पार्टी का प्रतिक्रिया
आरएलजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि उन्हें मौजूदा कार्यालय नहीं मिलता, तो वे किसी अन्य कार्यालय को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। उनके अनुसार, कार्यालय का संचालन करना अधिक महत्वपूर्ण है, न कि विशेष स्थान पर होना।
भवन निर्माण विभाग का नोटिस
22 अक्टूबर 2024 को भवन निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव संजय कुमार सिंह ने एक पत्र जारी किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि आरएलजेपी को अपने कार्यालय को सात दिनों के भीतर खाली करना होगा। विभाग ने चेतावनी दी थी कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो बलपूर्वक कार्रवाई की जाएगी। इस नोटिस ने पार्टी को चिंतित कर दिया था, जिसके चलते उन्होंने अदालत का रुख किया।
कानूनी बहस
कोर्ट में सुनवाई के दौरान, भवन निर्माण विभाग की ओर से एडवोकेट पीके शाही ने अपना पक्ष रखा, जबकि आरएलजेपी की ओर से वकील आशीष गिरी और वाई बी गिरी ने दलीलें पेश कीं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला सुनाया, जो आरएलजेपी के लिए राहत की बात है।
आगे की योजनाएँ
आरएलजेपी के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि वे अपने तर्कों पर दृढ़ हैं और न्यायालय के आदेश के बाद वे आगे की रणनीति पर विचार करेंगे। उनका मानना है कि एक राज्य स्तर की पार्टी के रूप में उन्हें कार्यालय प्राप्त करने का अधिकार है, और यदि आवश्यक हो, तो वे अन्य स्थानों पर भी कार्यालय स्थापित करने के लिए तैयार हैं।
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इस मामले ने राजनीतिक और कानूनी परिदृश्य में नया मोड़ लाया है। Patna हाई कोर्ट के स्टे ऑर्डर से आरएलजेपी को राहत मिली है, और अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में इस मामले का क्या समाधान निकलता है। कोर्ट का यह फैसला न केवल आरएलजेपी के लिए, बल्कि बिहार की राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।