पतंजलि ने बना ली कोरोनावायरस की दवा ! आचार्य बालकृष्ण ने ठोका दावा
पूरे भारत में कोरोनावायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में कोरोनावायरस कहर बरपा रहा है। ऐसे में ज्यादातर देश इस घातक वायरस की दवा बनाने में भी जुटे हैं। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि इस महामारी की वैक्सीन 1 साल में बनकर तैयार हो सकती है। लेकिन इस सबके बीच पतंजलि आयुर्वेद के कोफाउंडर आचार्य बालकृष्ण ने एक नया दावा किया है। इस दावे के अनुसार पतंजलि ने कोरोनावायरस की दवा बनाने में सफलता हासिल कर ली है।
आचार्य बालकृष्ण दावा कर रहे हैं कि पतंजलि ने कोरोनावायरस की दवा बनाने में सफलता हासिल की है। उन्होंने इस दवा से 1000 से ज्यादा लोगों के ठीक होने की बात भी कह दी। आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया कि अलग-अलग जगह पर कई कोरोनावायरस पॉजिटिव मरीजों को यह दवा दी गई जिसमें से 80% लोग ठीक हो चुके हैं। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि जैसे ही कोरोनावायरस महामारी ने चीन के साथ पूरे विश्व में दस्तक दी तो उन्होंने अपने संस्थान में हर विभाग को सिर्फ और सिर्फ कोरोनावायरस के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा पर काम करने में लगा दिया था जिसका परिणाम अब सामने आया है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि इस दवा का ना केवल सफल परीक्षण किया गया बल्कि इसे तैयार भी कर लिया गया है। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि शास्त्रों वेदों को पढ़कर और उसे विज्ञान के फार्मूले में डालकर आयुर्वेदिक चीजों से यह दवा बनाई गई है। उन्होंने कहा कि इस दवा के निर्माण के लिए पतंजलि के सैकड़ों वैज्ञानिक दिन रात एक कर काम करते रहे।
बता दें कि आज पूरी दुनिया कोरोनावायरस का इलाज करने के लिए इसकी वैक्सीन तैयार कर रही है। पूरी दुनिया में तेजी से यह वायरस फैलता जा रहा है। इस बीच कई बड़े दावे भी किए गए। कई देशों ने कहा कि वैक्सीन को बनाने में उन्हें कई प्रतिशत सफलता हासिल हुई है लेकिन अब पतंजलि ने एक बड़ा दावा करते हुए कोरोनावायरस की दवा बनाने की बात कही है। पतंजलि हमेशा ही आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए काम करती है। वही पतंजलि शोध संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक ने बताया कि जनवरी में जब चीन में कोरोनावायरस की शुरुआत हुई थी तभी से इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया था। दिन-रात सैकड़ों वैज्ञानिकों ने मेहनत की और इसी कड़ी मेहनत का परिणाम है कि हमने दवा बनाने में सफलता हासिल कर ली है। उनके मुताबिक सफलता का प्रतिशत भी 80% के लगभग रहा है। अगर ऐसा होता है तो यह दवा भारत के साथ-साथ कई देशों में भेजी जा सकती है।