आंध्र के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की ओर से चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र पर प्रस्ताव को लेकर विभाजनस्टिस को लिखे गए पत्र पर प्रस्ताव को लेकर विभाजन
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की ओर से चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र पर प्रस्ताव को लेकर विभाजन हो गया है। एससीबीए के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने कार्यकारी कमेटी की ओर से पारित प्रस्ताव से असहमति जाहिर करते हुए खुद को बैठक से अलग कर लिया।
दवे ने कहा कि शिकायत एक मुख्यमंत्री ने चीफ जस्टिस से की है जिसके सच या झूठ होने के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। इस मामले पर बिना किसी जांच के किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा अगर जगनमोहन रेड्डी के आरोप गलत सिद्ध होते हैं तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरु की जानी चाहिए।
दवे ने कहा कि न्यायपालिका जजों के खिलाफ शिकायतों से निपटने में पारदर्शी रवैया नहीं अपनाता है। उन्होंने कलिखो पुल मामला और पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन प्रताड़ना की शिकायतों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि वैसे मौकों पर बार मूकदर्शक बनी रही।
एससीबीए ने अपने प्रस्ताव में जगनमोहन रेड्डी के पत्र को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के खिलाफ बताया है। बता दें कि जगनमोहन रेड्डी के पतच्र की बार काउंसिल ऑफ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन, दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जैसे संगठनों ने आलोचना की है। जगनमोहन रेड्डी ने पिछले 6 अक्टूबर को चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर कहा था कि आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के कुछ जज तेलगुदेशम पार्टी के प्रति अलग नजरिया रखते हैं। पत्र में आगामी चीफ जस्टिस एनवी रमना पर आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के जजों को प्रभावित करने का आरोप लगाया गया है। इस पत्र को मीडिया में जारी कर सार्वजनिक किया गया था।