पार्थ, एक उत्तराखंडी…
उत्तराखण्ड –त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने 4 मार्च,2020 को गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया, उसको विधानसभा में पारित करा, राज्यपाल से अनुमोदन करा विधिवत अधिसूचना जारी करवाई।
इसके पश्चात उन्होंने २० वे राज्य स्थापना दिवस पर गैरसैंण में ही १० वर्षों में लगभग २५ हज़ार करोड़ रूपए से गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी परिक्षेत्र का सुनियोजित और क्रमबद्ध विकास किए जाने की घोषणा की।
ये विकास की गंगा हेलीपोर्ट, जिला स्तरीय चिकित्सालय, मिनी सचिवालय, चोरड़ा झील, गैरसैंण तक पहुंचने वाले सभी मार्गों को डबल लेन किए जाने, चौखुटिया हवाई पट्टी भू अधिग्रहण, बेनीताल एस्ट्रो विलेज योजना आदि अनेक कार्यों से बहना आरंभ भी हो गई थी। नियति ने त्रिवेंद्र जी के स्थान पर तीरथ सिंह रावत जी और उसके बाद पुष्कर सिंह धामी जी को सूबे की कमान सौंप दी।
मार्च २०२१ से ही गैरसैंण क्षेत्र के विकास कार्यों को प्राथमिकता मिलनी बंद हो गई। यदि त्रिवेन्द्र जी की योजनानुसार इसका विकास यथावत जारी रहता तो आज उसके सुपरिणाम दिखाई देने लगते। आज गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा के 3 वर्ष पूरे हो रहे हैं। आज आवश्यकता है प्रदेश के हर हिस्से से इसके विकास को समर्थन देने की। त्रिवेन्द्र जी के शब्दों में “गैरसैंण पहाड़ की पीड़ा का, दशकों के संघर्ष का प्रतीक है।”
हमारे पूर्वजों ने जो हरे भरे विकसित उत्तराखंड का सपना देखा था, उसकी शुरुवात गैरसैंण से ही संभव है। ये बात इन २२ सालों के बाद और भी सिद्ध हो गई है।