Parliament Winter Session: ओम बिर्ला ने कहा, विचारधाराएँ भिन्न हो सकती हैं, लेकिन देश सर्वोपरि है
Parliament सर्दी सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि विचारधाराएँ और अभिव्यक्ति अलग हो सकती हैं,
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिर्ला ने सोमवार को Parliament सर्दी सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि विचारधाराएँ और अभिव्यक्ति अलग हो सकती हैं, लेकिन देश हमेशा सर्वोपरि होना चाहिए। ओम बिर्ला ने यह बात तब कही जब संसद में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच विचारधारात्मक मतभेदों के बावजूद सदस्यों से अपील की गई कि वे देश की भलाई के लिए सकारात्मक रूप से काम करें।
Parliament संविधान सभा की मिसाल
लोकसभा अध्यक्ष ने संविधान सभा का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय भी विभिन्न विचारधाराओं और धर्मों के लोग थे, लेकिन फिर भी संविधान सभा ने महत्वपूर्ण और सकारात्मक चर्चाएँ कीं। ओम बिर्ला का कहना था कि संविधान सभा के सदस्य अपने भिन्न विचारों के बावजूद देश के सर्वोत्तम हित में काम करते थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चाहे विचारधारा में अंतर हो, लेकिन एकता और राष्ट्रवाद हमेशा हमें एकजुट करता है।
देश की एकता पर जोर
ओम बिर्ला ने यह भी कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में विचारों और अभिव्यक्तियों का अंतर स्वाभाविक है, लेकिन यह अंतर देश की एकता और अखंडता को कमजोर नहीं कर सकता। उन्होंने सांसदों से अपील की कि वे सभी अपने विचारों और विचारधाराओं से ऊपर उठकर देश के हित में काम करें।
लोकतंत्र में विविधता की स्वीकार्यता
लोकसभा अध्यक्ष ने भारतीय लोकतंत्र की विशेषता को भी रेखांकित किया, जिसमें विविधता को सम्मानित किया जाता है। उन्होंने कहा, “भारत एक विविधतापूर्ण समाज है, और लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत यही है कि इसमें विभिन्न विचारधाराओं और संस्कृतियों को जगह मिलती है। लेकिन यह विविधता हमें एकजुट होने से रोक नहीं सकती।” उनका यह बयान लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से था।
सकारात्मक चर्चाओं की आवश्यकता
Parliament ओम बिर्ला ने सांसदों से आग्रह किया कि वे संसद में स्वस्थ और सकारात्मक बहस करें, जो राष्ट्रहित में हो। उनका कहना था कि संसद का मुख्य उद्देश्य देश की जनता की समस्याओं को हल करना और राष्ट्रीय विकास में योगदान देना है, न कि केवल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करना।
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिर्ला का बयान Parliament में विभिन्न विचारधाराओं के बावजूद राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने की आवश्यकता को स्पष्ट करता है। उन्होंने यह संदेश दिया कि संसद में विपक्ष और सरकार दोनों को एकजुट होकर देश के विकास और समृद्धि के लिए काम करना चाहिए। उनके शब्दों ने यह भी स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में विचारों की विविधता का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन राष्ट्रीय हित को हमेशा प्राथमिकता दी जानी चाहिए।