अगर बैन लगा तो आप पर इसका क्या हो सकता है असर?
संसदीय समिति ने VPN सर्विसेस को बंद करने की सिफारिश की है;
पिछले महीने संसदीय समिति ने भारत सरकार से वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) सर्विसेस को बंद करने की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि VPN की वजह से साइबर सुरक्षा को खतरा पैदा हो रहा है। साइबर अपराधी VPN का इस्तेमाल कर अपनी पहचान गुप्त रखते हैं और गिरफ्तारी से बच जाते हैं। साइबर हमले बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में VPN को भारत में बैन करना जरूरी हो गया है।
गृह मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति का कहना है कि VPN और डार्क वेब के इस्तेमाल पर काबू करना बेहद जरूरी हो गया है। VPN की मदद से साइबर अपराधी फायर वॉल्स में सेंध लगा रहे हैं। एन्फोर्समेंट एजेंसियां भी इन्हें पकड़ नहीं पा रही हैं। ऐसे में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISP) की मदद लेकर VPN सर्विसेस को बैन करना होगा।
संसदीय समिति ने ऐसा कह तो दिया, पर क्या आपको पता है कि यह VPN क्या है? संसदीय समिति को इसमें क्या खतरा दिख रहा है? क्या वाकई में VPN इतना खराब है और इसका हमारे लिए कोई लाभ नहीं है? अगर VPN पर बैन लगा तो आप पर इसका क्या असर होगा? इन सवालों के जवाब आपको यह एक्सप्लेनर दे रहा है…
VPN क्या है?
VPN यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क। यह एक ऐसा टूल है, जो आपको प्राइवेट नेटवर्क बनाने में मदद करता है। भले ही आप जियो, एयरटेल, BSNL की ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल कर रहे हों, VPN आपको अपना प्राइवेट नेटवर्क बनाने की इजाजत देता है। प्राइवेट नेटवर्क का मतलब है कि आप सीमित लोगों से या अपने होम नेटवर्क कनेक्शन से जुड़े रहते हैं।VPN का प्रमुख काम है नेटवर्क ट्रैफिक को एन्क्रिप्ट करना। यानी आपके आईपी (IP या इंटरनेट प्रोटोकॉल) एड्रेस और लोकेशन को छिपाना। अगर आप किसी ब्रॉडबैंड कंपनी के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उस इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) को सब पता होता है कि आप क्या वेबसाइट्स देख रहे हैं? आप क्या डाउनलोड कर रहे हैं? इतना ही नहीं, आपकी ऑनलाइन हिस्ट्री भी उसके पास होती है। इसकी मदद से ही वह आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी के दौरान आपको विज्ञापन भी दिखाता है।आसान शब्दों में इंटरनेट एक समुद्र की तरह है और VPN उसमें एक पाइप की तरह। इंटरनेट के समुद्र में कई हैकर मौजूद हैं, जो डेटा चुराने की ताक पर रहते हैं। वर्चुअल नेटवर्क चुनिंदा कंप्यूटरों को ही आपस में जोड़ता है।
इस समय भारत में VPNs के इस्तेमाल की क्या स्थिति है?
ग्लोबल VPN प्रोवाइडर AtlasVPN ने अगस्त में दावा किया कि 2021 की पहली छमाही में भारत में 348.7 मिलियन VPN इंस्टॉल हुए हैं। यह 2020 के मुकाबले 671% की ग्रोथ बताता है। दुनियाभर में सबसे तेज। कतर, UAE और सिंगापुर के बाद VPN इंस्टॉलेशन के मामले में भारत अब दुनियाभर में चौथे स्थान पर पहुंच गया है।कई कंपनियां कर्मचारियों को डेटा प्रोटेक्शन और साइबर हमलों से बचाने के लिए VPNs का इस्तेमाल कर रही हैं। NordVPN में डिजिटल प्राइवेसी एक्सपर्ट डेनियल मार्कुसन का कहना है कि सिर्फ अमेरिका में ही 142 मिलियन VPN यूजर्स हैं। महामारी के बाद तो इसकी डिमांड तेजी से बढ़ी है। रिसर्च फर्म TOP 10 VPN का दावा है कि इंडोनेशिया 61% और भारत 45% पेनिट्रेशन के साथ VPN इस्तेमाल के मामले में दुनिया के सबसे बड़े मार्केट्स हैं।
आपका इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर आपके बारे में क्या जानता है?
इंटरनेट की हर गतिविधि पर सर्विस प्रोवाइडर (ISP) की नजर होती है। आपका डेटा, ऑनलाइन एक्टिविटी को ISP ट्रैक कर सकता है। एक तरह से ISP ही आपके इंटरनेट कनेक्शन का मालिक होता है। मोडम/राउटर्स उसी का होता है, जिसका इस्तेमाल आप घर पर करते हैं।ISP आपके इंटरनेट कॉन्फिगरेशन को बदल सकते हैं। कुछ वेबसाइट्स का एक्सेस रोक सकते हैं। कुछ वेबसाइट्स की स्पीड स्लो कर सकते हैं। आपकी ब्राउजिंग हिस्ट्री देखकर आपकी पसंद-नापसंद जान सकते हैं। फिर विज्ञापन भी आपको इसी के अनुसार दिखते हैं। VPN ही एक ऐसा टूल है, जो ISP को आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी देखने से रोक सकता है।अगर आप VPN का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ISP के लिए यह देख पाना मुश्किल हो जाता है। थर्ड पार्टी हैकर्स, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, वेबसाइट्स, मालवेयर, स्पायवेयर और अन्य के लिए यह पता करना बेहद मुश्किल हो जाता है कि आपने किस वेबसाइट का इस्तेमाल किया है, क्या डाउनलोड किया है या क्या अपलोड किया है। अगर कोई हैकर आपके ऑनलाइन सेशन में घुसपैठ कर भी लेता है तो यह सब कुछ एन्क्रिप्टेड होता है। उसे कुछ नहीं मिलता।
आज की स्थिति में VPN का महत्व क्यों बढ़ गया है?
आज ज्यादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे रही हैं। ऐसे में वे असुरक्षित नेटवर्क पर रहकर काम नहीं कर सकते। अगर वे ऐसा करते हैं तो कंपनी के प्रतिस्पर्धी थर्ड पार्टी टूल्स का इस्तेमाल कर गोपनीय जानकारी हासिल कर सकते हैं।इंटरनेट पर कई नेटवर्क ट्रैकिंग टूल्स उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल कर आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रखी जा सकती है। स्पायवेयर, मालवेयर के जरिए आपकी प्राइवेसी में सेंध लगाई जा सकती है। साथ ही धोखाधड़ी भी हो सकती है। VPNs इससे बचाते हैं।इसे देखते हुए ज्यादातर कंपनियां VPN सर्विसेस का इस्तेमाल कर रही हैं, ताकि कर्मचारियों का डेटा सुरक्षित रहे। एडमिन पासवर्ड्स समेत कई जानकारियां शामिल हैं। इस तरह VPN किसी भी कॉर्पोरेट की साइबर सिक्योरिटी में फ्रंटलाइन डिफेंस के तौर पर काम करते हैं।अगर आप VPN का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ऐसा नहीं है कि सुरक्षा सिर्फ ऑफिस का काम करने में मिलेगी। VPNs आपके ऑनलाइन बैंकिंग, सोशल मीडिया, ईमेल आदि के पासवर्ड्स सेफ रखते हैं।
पब्लिक वाई-फाई से कनेक्ट रहने में VPN आपको कैसा प्रोटेक्शन देते हैं?
अगर आप रेलवे स्टेशन, साइबर कैफे, कॉफी शॉप्स, रेस्टोरेंट, होटल आदि में पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करते हैं तो आपकी प्राइवेसी खतरे में है। हैकर्स इन पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल कर आपके डेटा तक पहुंचते हैं। मालवेयर आदि वायरस की मदद से लोकेशन ट्रैक करते हैं, रिमोट अटैक करते हैं और पासवर्ड तक चुरा लेते हैं। साइबर हमले करने वालों के लिए पब्लिक वाई-फाई सबसे बड़ा हथियार है।इन खतरों के खिलाफ VPN आपको प्रोटेक्शन देते हैं। यह आपका IP एड्रेस, नेटवर्क ट्रैफिक सोर्स और इंटरनेट ब्राउजिंग सेशन छिपाकर रखते हैं। इससे हैकर्स के लिए आपके डेटा तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है और आप इंटरनेट का सेफ्टी के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं।
अगर भारत में VPN ब्लॉक हुए तो आप पर क्या असर पड़ेगा?
VPNs पर प्रतिबंध लगाने से कई कंपनियों की वर्क फ्रॉम होम या रिमोट वर्किंग की योजना खतरे में पड़ जाएगी। ज्यादातर कंपनियां चाहेंगी कि आप सिक्योर इंटरनेट कनेक्शन का ही इस्तेमाल करें, जो आपको ऑफिस में उपलब्ध रहता है।आपका इंटरनेट कनेक्शन थर्ड पार्टी साइबर हमलों का शिकार हो सकता है। मालवेयर आपके पासवर्ड चुरा सकते हैं। आप उस कंटेंट को भारत में नहीं देख सकेंगे, जो यहां प्रतिबंधित है। इसी तरह आप ऑनलाइन प्राइवेसी का एक महत्वपूर्ण टूल खो देंगे।