लॉकडाउन में एक बड़ा ब्रांड बन कर उभरा पार्ले, Parle-g की हुई रिकॉर्ड बिक्री
पूरे देश में कोरोनावायरस तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस घातक वायरस को रोकने के लिए देश की सरकार ने लॉक डाउन किया। इस लॉक डाउन से प्रवासी मजदूरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा हालांकि लॉक डाउन भारत सरकार ने इसलिए किया था ताकि देश के लोग इस घातक वायरस से बच सकें। लेकिन प्रवासी मजदूरों को इस लॉक डाउन से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जिसके बाद देश में सब कुछ बंद कर दिया गया था। देश की अर्थव्यवस्था अब तक चरमराई हुई है। लेकिन एक कंपनी है जिसने इस लॉक डाउन के चलते इतनी अच्छी कमाई की है कि उसने 82 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
जी हां लॉक डाउन में भी एक कंपनी ऐसी निकली जिसने इतनी बिक्री के मामले में अपना 82 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस कंपनी का नाम है पारले। इस कंपनी को हर कोई जानता है। इस कंपनी ने इस लॉक डाउन में अच्छा बिजनेस किया है। प्रवासी मजदूरों को सरकार ने बस सो स्पेशल ट्रेनों के जरिए उनको उनके राज्य पहुंचाया। इस दौरान बहुत से लोग श्रमिक मजदूरों की मदद के लिए आगे आए। बहुत से सामाजिक कार्यकर्ताओं ने देश के श्रमिकों को खानपान की चीजें बाटी। और महज ₹5 में मिलने वाला पारले जी बिस्किट का पैकेट सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने वाले प्रवासियों के लिए सबसे जरूरी बन गया।
ग्लूकोस का बिस्किट होने के नाते इस बिस्किट को बहुत से लोगों ने बांटा। ज्यादातर लोग प्रवासी मजदूरों को यह पारले जी बिस्किट बांटते हुए नजर आते थे। जिसकी वजह से इस बिस्किट की इतनी सेल हुई कि कंपनी का 82 सालों का रिकॉर्ड टूट गया। हालांकि अब तक पारले कंपनी ने बिक्री के आंकड़े नहीं बताएं हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक पारले प्रोडक्ट्स के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा कि कंपनी का कुल मार्केट शेयर करीब 5 फ़ीसदी बढ़ा है और इसमें से 80 से 90% ग्रोथ parle-g की सेल से हुई है। वहीं दूसरी कंपनियों की बिस्किट की बिक्री में भी इजाफा हुआ है। Parle-g 1938 से भारतीयों के बीच एक बेहतरीन ब्रांड बनकर उभरा है। खबरों के मुताबिक यह वही कंपनी है जो पिछले साल थोड़े घाटे में चल रही थी और कंपनी ने सरकार से मदद भी मांगी थी।