पाकिस्तान की 70 सालों में उपलब्धि है आतंकवाद और कट्टरपंथ: भारत
नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के संयुक्त राष्ट्र महासभा में किए गए प्रलाप के जवाब में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि पाकिस्तान के पास पिछले सत्तर सालों में दुनिया को दिखाने के लिए उपलब्धि के तौर पर आतंकवाद, जातीय सफाई और कट्टरपंथ है।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में ‘राइट ऑफ रिप्लाई’ का प्रयोग करते हो इमरान खान के विष घोलने वाले बयान के जवाब में कहा कि 70 सालों के इतिहास में संयुक्त राष्ट्र के इस मंच ने एक नई गिरावट देखी। संयुक्त राष्ट्र सभा ने आज एक ऐसे व्यक्ति को सुना जिसके पास उपलब्धि के तौर पर दिखाने के लिए कुछ नहीं है। उसके पास दुनिया को देने के लिए कोई सुझाव नहीं है। इसके बजाय वह इस मंच का प्रयोग झूठ, गलत सूचना और द्वेष फैलाने के लिए कर रहा हैं। इमरान खान वही व्यक्ति हैं जिन्होंने ओसामा बिन लादेन को अपनी संसद में शहीद कहा था।
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन के प्रथम सचिव मिजितो विनितो ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है। जम्मू और कश्मीर के लिए बने नियम और कानून पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है। कश्मीर को लेकर अब सिर्फ एक ही विवाद है कि भारत के एक हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा। हम पाकिस्तान से अवैध कब्जे वाले इलाके को तुरंत छोड़ने की मांग करते हैं।
मिजितो विनितो ने कहा कि पाकिस्तान सूचीबद्ध आतंकियों को धन मुहैया कराता है। एक अमेरिकी रिपोर्ट में 2019 में कहा गया था कि पाकिस्तान में 30 से 40 हजार आतंकवादी हैं जिन्हें प्रशिक्षण देकर अफगानिस्तान और जम्मू-कश्मीर भेजा जाता है। पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून है और वहां जबरन धर्म परिवर्तन करके हिंदू, ईसाई, सिख और अन्य मतपंथों को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक तरफ मुसलमानों का हिमायती होने का दावा करता है, वहीं उसके यहां मुसलमानों को ही मारा जाता है क्योंकि वह एक संप्रदाय से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को एक सामान्य देश की तरह काम करना चाहिए। उसे अपने यहां आतंकवाद को नैतिक और आर्थिक समर्थन देना बंद करना चाहिए। अपने यहां के अल्पसंख्यक की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र का गलत इरादों के लिए उपयोग नहीं करना चाहिए।
इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में सभी कूटनीतिक मर्यादाओं को तोड़ते हुए भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर उगला जिस पर तीव्र विरोध व्यक्त करते हुए भारतीय प्रतिनिधि सभागार से उठकर चले गए।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने ट्वीट कर कहा कि यह कूटनीतिक क्षेत्र में नई गिरावट है। इमरान खान का बयान जहरीला और झूठा है तथा इसमें भारतीय नेताओं के खिलाफ व्यक्तिगत हमला किया गया है। वक्तव्य युद्ध का उन्माद पैदा करने वाला है। पाकिस्तान स्वयं सीमा पार आतंकवाद फैला रहा है और अपने यहां अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न कर रहा है। यह हास्यास्पद है कि ऐसा देश इसी आधार पर दूसरे देश पर दोषारोपण कर रहा है।
इमरान खान ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने संबोधन में भारत विरोधी प्रलाप करते हुए कहा था कि मोदी सरकार कश्मीरियों की पहचान खत्म करने पर आमादा है। उन्होंने कहा था कि जिस तरह जर्मनी में नाजियों ने यहूदियों को निशाना बनाया था वैसे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत में मुसलमानों और कुछ हद तक ईसाइयों को निशाना बना रहा है। संघ की उग्रवादी विचारधारा के अनुसार भारत केवल हिंदुओं के लिए है और अन्य धर्म के लोगों को समान नागरिक अधिकार नहीं है।
इमरान खान ने कहा कि मोदी सरकार ने महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के धर्मनिरपेक्षता के आदर्श को हिंदू राष्ट्र के निर्माण में बदल दिया है। इसके जरिए वह भारत के 20 करोड़ मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों को गुलाम बनाना चाहता है। अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस का जिक्र करने के साथ ही इमरान खान ने गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि गुजरात में मुसलमानों का नरसंहार तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की छत्रछाया में हुआ।
उल्लेखनीय है कि इमरान खान ने पिछले वर्ष भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में ऐसा ही भड़काऊ भाषण दिया था लेकिन इस बार वह सारी कूटनीतिक मर्यादाओं को पार कर गए।