दुश्मन को दिख रही योगी की ख़ूबियां लेकिन अपना विपक्ष अंधा हो गया
पत्रकार नवेद शिकोह कि कलम से
माना विपक्षी दलों का काम सवाल उठाना है, सरकार को उसकी कमियों का अहसास दिलाना है। लेकिन सरकार के बेहतर प्रयासों के लिए विपक्ष उसकी सराहना कर दे तो इसे स्वस्थ्य और स्वच्छ लोकतंत्र की ख़ूबी कहा जाता है। कोरोना काल के तमाम संकटों से लड़कर सेहत और रोजगार की रक्षा के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की गुड गवर्नेंस के पूरी दुनिया में डंके बज रहे हैं। देश, दुनिया या किसी भी सूबे में कोरोना संक्रमण का प्रवेश आतंक मचाये है। आबादी के अनुपात में मौतों का ग्राफ साफ नज़र आ रहा है। दुनिया के दर्जनों देशों से बड़ा उत्तर प्रदेश एक ऐसा सूबा है जहां की जनसंख्या के मुकाबले कोरोना से मौतें सबसे कम हुयीं हैं। यूपी में साक्षरता दर कम और आबादी बेहद अधिक है। बावजूद इसके प्रदेश सरकार की नीतियां संक्रमण को काबू करने करने की काबिले तारीफ कोशिश कर रही है।
जीवन बचाने के साथ आपदा में भी रोजगार की संभावनाएं तलाशने वाली यूपी सरकार चर्चा मे है। दुश्मन देश पाकिस्तान में भी योगी की कार्यप्रणाली की तारीफें हो रही हैं। कोरोना से लड़ने का योगी मॉडल अपनाने के लिए दुनिया की निगाहें यूपी पर हैं।
पाकिस्तान की मीडिया जो भारत के खिलाफ हमेशां ज़हर उगलती है उसे भी उत्तर प्रदेश में कोविड 19 के खिलाफ योगी की मेहनत-समर्पण और बेहतर नतीजों के क़सीदे (प्रशंसा) पढ़ने पड़े। किंतु दुर्भाग्य कि हमारे देश के विपक्षी दल इस कठिन वक्त में जीवन और रोजगार को बचाने की कोशिश कर रही सरकार के साथ सहयोगात्मक बर्ताव करने के बजाय हतोत्साहित करने पर तुले हैं। इसी तरह मीडिया का एक वर्ग सिर्फ और सिर्फ एक तरफा आक्रामक और नकारात्मक रिपोर्टिंग कर विश्व पटल पर कोरोना महामारी में भारत की कोशिशों को असफल बता रही है। यू ट्यूब चैनल्स पर चंद भारतीय पत्रकारों पर गलत सूचनाओं से जनता को दिग्भ्रमित करने के आरोप भी दर्ज हुए है। जबकि दुश्मन देश की मीडिया अपने देश को हिदायत दे रही है कि वो कोविड से लड़ाई की कार्यशैली भारतीय सरकारों से सीखें।
माना कि विपक्ष और मीडिया सरकार की कमियों को इंगित करने की भूमिका में होते हैं लेकिन जब देश पर बड़ा संकट होता है तो नकारात्मकता त्याग कर विपक्ष और मीडिया का फर्ज है कि वो सरकार के साथ सहयोगात्मक कदम उठाये। महामारी किसी भी देश के लिए बेहद कठिन हालात पैदा करती है, और ऐसे समय में एकजुटता बेहद ज़रूरी है। लोकतांत्रिक परंपराओं और मीडिया के दायित्यों का इतिहास गवाह रहा है कि हर बड़े संकट, विपदा या महामारी की घड़ी में सब एक साथ खड़े दिखाई दिए हैं।
एक कहावत है कि जब सैलाब आता है तो जान बचाने के लिए शेर और हिरण, अजगर और छोटे पशु-पंछी भी एक साथ खड़े दिखते हैं।
पाकिस्तान के सबसे बड़े अग्रेंजी अखबार ‘द डॉन’ के संपादक फसद हुसैन ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी सरकार के काम की तारीफ के बाद अब हमारे विपक्षी दलों के नेताओं को अपनी आंखें खोल कर नकारत्मकता का चश्मा उतार देना चाहिए है। विपक्ष सरकार की खामियों पर सवाल जरूर उठाये पर सरकार की सफल नीतियों की सराहना भी करे।
सच कभी छिप नहीं सकता। सच्चाई को शत्रु भी नकार नहीं सकता। पाकिस्तान के अखबार के संपादक फहद ने बाकायदा तथ्यों और आकड़ों के आधार पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से गुजारिश की है कि वो आदित्यनाथ योगी की सरकार से सीखें। डॉन के संपादक ने एक ग्राफ को ट्वीट करते हुए याद दिलाया है कि उत्तर प्रदेश की आबादी पूरे पाकिस्तान से ज्यादा है। पर यूपी में कोरोना से सिर्फ 275 मोतौं हुयीं जबकि पाकिस्तान में 98,943 लोग कोरोना संक्रमण से मौत के मुंह में जा चुके है। इसी तरह पाकिस्तान में करीब एक लाख लोग संक्रिमित हैं जबकि यूपी में लगभग दस हजार लोग ही संक्रिमित हुए हैं।