पाक ने निभाई दोस्ती, अफगानिस्तान में चीन का टेंशन खत्म, जानें- क्या है ड्रैगन की बड़ी चिंताएं
अफगानिस्तान में चीन का टेंशन खत्म, जानें- क्या है ड्रैगन की बड़ी चिंताएं। फाइल फोटो।
तालिबान ने कहा है कि वह चीन को अफगानिस्तान का दोस्त मानता है। उन्होंने कहा कि शिनजियांग प्रांत में उइगर इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देगा। चीन के निवेश की सुरक्षा का भी वादा किया है। इस बयान के बाद के बाद चीन की चिंता कम हुई है।
काबुल बीजिंग, एजेंसी। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान ने कहा है कि वह चीन को अफगानिस्तान का दोस्त मानता है। तालिबान ने कहा है कि वह शिनजियांग प्रांत में उइगर इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देगा। इसके अलावा चीन के निवेश की सुरक्षा का भी वादा किया है। तालिबान के इस बयान के पीछे पाकिस्तान का हाथ माना जा रहा है। खास बात यह है कि तालिबान का यह बयान ऐसे समय आया है जब अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव से चीन चिंतित है। तालिबान के इस बयान से चीन ने जरूर राहत की सांस ली होगी। अमेरिकी सेना के हटने के बाद से तालिबान ने अफगानिस्तान के आधे से अधिक हिस्से पर कब्जा कर चुका है। अफगानिस्तान में तालिबान और अफगान सैनिकों के बीच अभी भी सत्ता संघर्ष की जंग जारी है।
रूस, चीन और भारत का चिंता
अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान लगातार अफगानिस्तान पर कब्जा करने में जुटा है। अफगानिस्तान में हालात गृहयुद्ध जैसे बने हुए हैं। ऐसे में अफगानिस्तान में चरमपंथी गुट और आतंकी समूहों के दोबारा बर्चस्व में आने से रूस, चीन और भारत का चिंतित होना स्वाभिवक है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान भी तालिबान को लेकर चिंता जाहिर करता रहा है, लेकिन तालिबान के साथ उसकी साठगांठ जगजाहिर है। अफगानिस्तान के हालात से चीन इस कदर घबराया हुआ है कि उसने इस सप्ताह अपने 210 नागरिकों को विशेष विमान के जरिए अफगानिस्तान से बाहर निकाल लिया।
क्या है चीन की बड़ी चिंता
बता दें कि चीन की शिनजियांग प्रांत की आठ किलोमीटर सीमा अफगानिस्तान से जुड़ी हुई है। बीजिंग को यह चिंता सता रही है कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट का केंद्र बन जाएगा। इस अलगाववादी संगठन का संबंध अल-कायदा से भी है। चीन का शिनजियांग प्रांत संसाधनों से भरपूर है। चीन इस बात को लेकर चिंतित है कि शिनजियांग प्रांत में आइएस का प्रभाव बढ़ा तो दिक्कत हो सकती है। इसका सीधा असर उइगर मुस्लिमों के आंदोलन पर पड़ेगा। चीन को डर है कि उइगर मुस्लिमों को लेकर आतंकी संगठन चीन पर दबाव बना सकते हैं। दूसरे, अफगानिस्तान में तालिबान के प्रभुत्व का असर चीनी निवेश पर पड़ेगा।
तालिबान प्रवक्ता के बयान से गदगद हुआ चीन
चीन की चिंता को दूर करते हुए तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि चीन अफगानिस्तान का दोस्त है। उन्होंने कहा कि तालिबान बीजिंग से बातचीत की उम्मीद करता है। सुहैल ने कहा कि तालिबान चीन के उइगर लड़ाकों को शिनजियांग से अपने देश में नहीं घुसने देगा, जोकि पहले अफगानिस्तान में शरण लेते रहे हैं। तालिबान अलकायदा और दूसरे आतंकी समूहों को भी वहां संचालन से रोकेगा। सुहैल ने हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से बातचीत में कहा कि हम कई बार चीन जा चुके हैं और हमारा रिश्ता उनके साथ अच्छा है। चीन एक दोस्ताना देश है और हम अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास के लिए इसका स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में यदि उनका निवेश है तो निश्चत तौर पर हम इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
चीन ने पाकिस्तान से मांगी थी मदद
हाल में चीन ने अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया पूरी होने से पहले अमेरिकी सैनिकों की वापसी की निंदा की थी। चीन ने पाकिस्तान से कहा था कि वह अफगानिस्तान में सुरक्षा के जोखिम को कम करने के लिए सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करे। चीन ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष पाकिस्तान पर इस बात का दबाव बनाया है कि वह अफगानिस्तान में चीनी हितों की रक्षा के लिए आगे आए। चीनी विदेश मंत्री ने कहा था कि चीन और पाकिस्तान को क्षेत्रीय शांति की रक्षा करने की जरूरत। अफगानिस्तान में समस्याओं से चुनौती उत्पन्न होती है, जिसका चीन और पाकिस्तान दोनों सामना कर रहे हैं।