आतंक का समर्थक US में पाकिस्तान का एम्बेसडर: अल कायदा से भी रहे करीबी रिश्ते
बुरहान वानी को शहीद बताने वाले मसूद को इमरान ने नई जिम्मेदारी दी,
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने एक ऐसा डिप्लोमैटिक स्टेप लिया है, जो अमेरिका से उसके रिश्ते और खराब कर सकता है। पाकिस्तान ने मसूद खान को अमेरिका में अपना नया एम्बेसडर बनाया है। मसूद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के राष्ट्रपति रह चुके हैं। इसके अलावा वह अल कायदा और कश्मीरी आतंकी बुरहान वानी का समर्थन करते रहे हैं।
ओसामा बिन लादेन के एक खास सहयोगी से मसूद के करीबी रिश्ते रहे हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका इस मुद्दे पर पाकिस्तान को फटकार लगा सकता है। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर नए सिरे से तनाव पैदा हो सकता है।
अमेरिकी मैगजीन की रिपोर्ट
मसूद खान के बारे में अमेरिकी मैगजीन ‘नेशनल रिव्यू’ ने कई खुलासे किए हैं। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक मसूद खान के अपॉइंटमेंट से पाकिस्तान की इमेज और खराब होगी। अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में नया तनाव पैदा हो सकता है। आतंकवाद के समर्थक और मददगार के तौर पर मसूद का इतिहास अमेरिका भी जानता है। वो इमरान सरकार से जवाब जरूर मांगेगा। वो अमेरिका के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। उनके खिलाफ दुनिया और मीडिया के पास कई ठोस सबूत मौजूद हैं।
बुरहान वानी का समर्थन
बुरहान वानी को कश्मीर में आतंकवाद का पोस्टर बॉय बताया गया था। 2016 में भारतीय सेना ने उसे मार गिराया था। उसकी बरसी पर मसूद ने संदेश जारी किया था। वानी को शहीद बताते हुए कहा था कि वो कश्मीरियों के दिल में रहता है।
मसूद ने खुलेआम हिज्बुल मुजाहिदीन का समर्थन किया था। 2019 में मसूद खान ऑल पार्टीज कश्मीर सॉलडैरिटी कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए थे। इसमें हरकत-उल-मुजाहिदीन (HuM) का फाउंडर फजल-उर-रहमान खलील भी मौजूद था। ये वही खलील है जिसे अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने 1997 में ही आतंकी संगठन घोषित कर दिया था।
बुरहान वानी (बाएं) को भारतीय सेना ने एनकाउंटर में मार गिराया था।
लादेन और अल कायदा कनेक्शन
खलील और हरकत-उल-मुजाहिदीन के करीबी रिश्ते हैं। खुद खलील ओसामा बिन लादेन का दायां हाथ रह चुका है। अमेरिका के पास इसके सबूत मौजूद हैं। लादेन के मारे जाने के बाद इंटरनेशनल इस्लामिक फ्रंट ने जो फतवा जारी किया था, उसका प्रेसिडेंट यही खलील था, जिसके मसूद खान से अच्छे रिश्ते हैं।
हैरानी की बात यह है कि मसूद जमात-ए-इस्लामी के भी सक्रिय सदस्य हैं। ‘लेडी ऑफ अल कायदा’ कही जाने वाली डॉक्टर आफिया सिद्दीकी से भी मसूद के संबंध हैं। कहा जाता है कि तालिबान के कई नेता भी मसूद के संपर्क में हैं।
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