Video: इंडियन आर्मी को आतंकवादी समझ चीखने लगीं महिलाएं, कहा- “बच्चों को मत मारना..”

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार दोपहर आतंकियों ने एक बार फिर खून की होली खेली। बैसरन घाटी में पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग कर 27 मासूम जिंदगियां लील ली गईं। यह हमला पुलवामा के बाद अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला बताया जा रहा है।

घूमने आए थे, लौटे तो ताबूत में

मंगलवार को दोपहर करीब 2:45 बजे पहलगाम के पास बैसरन घाटी में पर्यटक घूमने निकले थे। तभी आतंकियों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी। गोलियों की बौछार में 27 लोगों की जान चली गई, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हुए हैं। मृतकों में इटली, इजरायल, नेपाल और यूएई के पर्यटक भी शामिल हैं, साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और ओडिशा जैसे राज्यों के नागरिकों की भी मौत हुई है।

सेना के असली जवानों को समझा आतंकी

इस हमले की सबसे दर्दनाक बात यह रही कि आतंकवादी सेना की वर्दी पहनकर आए थे। जब फायरिंग के बाद सेना के असली जवान मौके पर पहुंचे, तो महिलाएं और बच्चे डर के मारे उन्हें भी आतंकी समझ बैठे। अफरा-तफरी में सेना को लोगों को यह समझाना पड़ा कि वे इंडियन आर्मी हैं और उन्हें बचाने आए हैं, नुकसान पहुँचाने नहीं।

बच गए कुछ लोग, पर रह गई दर्द की कहानियाँ

कर्नाटक के शिवमोगा से आए व्यवसायी मंजुनाथ राव को आतंकियों ने सिर में गोली मार दी। उनकी पत्नी पल्लवी ने बताया कि वह बच्चों के साथ गुहार लगाती रही — “हमें भी गोली मार दो”। आतंकी ने जवाब दिया — “नहीं, जाकर मोदी को बता दो।” इस एक वाक्य में आतंक का चेहरा पूरी तरह उजागर हो गया।

हमले की ज़िम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े टीआरएफ ने ली

पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ग्रुप टीआरएफ (The Resistance Front) ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली है। हमले की साजिश टीआरएफ के कमांडर सैफुल्लाह ने रची थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुल छह आतंकवादी इस नरसंहार में शामिल थे।

पुलवामा के बाद सबसे बड़ा हमला, फिर जागेगा क्या सिस्टम?

फरवरी 2019 के पुलवामा हमले के बाद ये अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला है। सवाल उठते हैं कि बार-बार हमारी एजेंसियां कैसे चूक रही हैं? और क्यों आम नागरिकों की जान यूं ही सियासत और सुरक्षा की लापरवाहियों में चली जाती है?

पूरे देश में गुस्सा, पहलगाम की चीखें सब तक पहुँच रही हैं

सोशल मीडिया पर इस हमले के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। लोग सरकार से तीखी प्रतिक्रिया और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यह हमला एक बार फिर साबित करता है कि आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है, और इससे निपटने के लिए केवल बयान नहीं, ठोस कदम ज़रूरी हैं।

संपादकीय टिप्पणी:

पहलगाम में मारे गए मासूमों की चीखें हर भारतीय के दिल को चीर रही हैं। यह समय एकजुटता का है — इंसानियत के पक्ष में, आतंक के खिलाफ।

 

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