बिजलीकर्मियों की हड़ताल से यूपी में हाहाकार, अंधेरे में डूबे कई जिले..
उत्तर प्रदेश में अपनी मांगों के समर्थन में बिजली कर्मचारी 16 मार्च से 72 घंटे के हड़ताल पर हैं।इस हड़ताल के 36 घंटे पहले से कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है।बुधवार की सुबह कार्यालय पहुंचने के बाद सभी कर्मचारी काम छोड़ कर विद्युत वितरण निगम के दफ्तर पहुंचे और उन्होंने यहां सभा शुरू कर दी। कर्मचारियों के इस आंदोलन के कारण उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में बिजली कटौती की समस्या विकराल रुप ले चुकी है। वहीं इस हड़ताल से सरकार के साथ आम आदमी की परेशानी बढ़ गई है। सरकार ने हड़ताल से निपटने के लिए आउटसोर्सिंग और संविदा पर प्रदेश भर में तैनात करीब 650 आउटसोर्सिंग संविदाकर्मियों की सेवा समाप्त कर दी है। जिसमें पूर्वांचल विधुत वितरण निगम के 242 कर्मियों पर हुई कार्यवाही हुई है। जबकि मध्यांचल वितरण निगम के 110 कर्मियों और पश्चिमांचल में 60 तथा दक्षिणांचल 38 कर्मचारियों पर कार्यवाही हुई है।
दूसरी तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अराजकता फैलाने वाले बिजली कर्मी सूचीबद्ध होंगे और बिजली फीडर बन्द करने वालो पर होगी कार्यवाही होगी। इसके साथ ही ऊर्जा मंत्री ने कहा कि लाइन में फाल्ट किया तो आकाश पाताल से ढूंढ निकालेंगे और उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे। प्रदेश की सात एजेंसियें पर कर्मचारी उपस्थित नहीं करा पाने के कारण केस किया गया है। साथ ही भविष्य में ये एजेंसियां निगम में काम नहीं कर सकेंगी। लेकिन क्या योगी आदित्यनाथ जहां एक तरफ रोजगार देने के कसीदे पढ़ते नहीं थकते हैं ,ऐसे में नौकरी से हटाना बड़ा सवाल जरुर खड़ा करता है ।
गौरतलब है कि 1 वर्ष पहले रोजगार को लेकर योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उत्तर प्रदेश के हम जल्दी ही हर परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी, रोजगार, स्वतः रोजगार को जोड़ने की कार्ययोजना लेकर आ रहे है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2017 के पहले एमएसएमई क्षेत्र पूरी तरह खत्म हो गया था, लेकिन 2017 में जब हम आये तो हमारे सामने चुनौती थी, देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में युवाओं के स्वावलंबन का विषय बहुत महत्वपूर्ण था, पहले की सरकारें केंद्र की योजनाओं में कोई रुचि नही लेती थीं। जो इतने सारे वादे किए गए थे। क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने द्वारा कहे गए वादे भूल गए हैं ? खैर यह राजनीति है वक्त और जरूरत पर निर्भर करती है। लेकिन उत्तर प्रदेश में जिस तरीके से बिजली की हड़ताल है सरकार की पोल खुल चुकी है।
अब देखना यह है की आखिरी हड़ताल कब तक जारी रहती है।पूर्वांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल और मध्यांचल समेत केस्को और नोएडा पावर कंपनी में कर्मचारियों की हड़ताल का असर अब बढ़ रहा है। प्रदेश में कई जिले ऐसे हैं, जहां 90 प्रतिशत बिजली आपूर्ति बाधित हो चुकी है। वजह है फॉल्ट को ठीक नहीं किया जा रहा है। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मेरठ, आगरा रायबरेली अमेठी, उन्नाव और बरेली समेत कई शहरों में पहले दिन ही जबरदस्त संकट पैदा हो गया। जबकि संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों द्वारा यह अवगत कराया गया कि अगर उक्त 14 मांगों, जिन पर सहमति बनी है, को क्रियान्वित नहीं किया गया तो पहले मसाल जुलूस, कार्य बहिष्कार औऱ उसके बाद सांकेतिक रूप से 72 घंटे का हड़ताल किया जाएगा। फिर भी ऊर्जा प्रबंधन द्वारा इसे नजरअंदाज किया गया। जिसका परिणाम आज देखा जा रहा है। यह हड़ताल सिर्फ ऊर्जा प्रबंधन की हठधर्मिता के कारण हुआ है ना कि कर्मचारियों का दोष है। हम कर्मचारियों का ऐसा कोई भी उद्देश्य नहीं था कि हम आम जनता की परेशानी का सबब बने। हम लोग हमेशा से आम जनता की विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से चलती रहे, इसके लिए तत्पर रहते हैं, परंतु शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन का सहयोग नहीं मिल पाया। जिसका नतीजा यह रहा की एक दशक बाद दिखने को मिला।