वायरल बुखार का प्रकोप, डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग की तैयारी का दावा, हकीकत में कुछ और…
आजमगढ़ में कोरोना वायरस कहर के बीच अब उत्तर प्रदेश में डेंगू बुखार ने लोगों को डरा दिया है। आजमगढ़ में भले ही इसका प्रकोप अभी कम है लेकिन वायरल फीवर के बढ़ते मामलों से लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं हालांकि स्वास्थ्य विभाग सबकुछ पटरी पर होने का दावा कर रहा है। वहीं दावे के उलट मंडलीय अस्पताल में एक तरफ बुखार से पीड़ित लोगों की भीड़ नजर आई और हेल्प डेस्क नहीं था वहीं डेंगू वार्ड भी बंद मिला। यूपी के अलग-अलग जिलों में डेंगू बुखार के न सिर्फ मामले सामने आ रहे हैं, बल्कि इससे जान गंवाने वालों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। फिरोजाबाद में इस खतरनाक डेंगू बुखार से अब तक तीन दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। वहीं, मथुरा में भी अब तक इस बुखार से एक दर्जन लोग जान गंवा चुके हैं। कोरोना की तीसरी लहर की आहट के बीच डेंगू बुखार का अटैक हो रहा है, उसने स्वास्थ्य महकमे के भी हाथ-पांव फुला दिए हैं। फिरोजाबाद और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में डेंगू के कहर के बीच आजमगढ़ में स्वास्थ्य महकमा अलर्ट हो गया है मुख्य चिकित्सा अधिकारी इंद्रनारायण तिवारी ने जूम मीटिंग के माध्यम से प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों और स्वास्थ्य कर्मियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं वहीं जिलाधिकारी ने भी स्वास्थ्य विभाग को डेंगू बुखार की तैयारियों को पूरा करने के निर्देश दिए हैं। प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संजय कुमार का दावा है कि अभी तक जिले में डेंगू का कोई भी मरीज नहीं मिला है लेकिन हमारी तैयारियां पूरी हैं। उन्होने बताया कि मंडलीय अस्पताल में 10 बेड का डेंगू वार्ड और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दो बेड, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 4 बेड, डेंगू मरीजों के लिए आरक्षित किया गया है। बताया कि सरकारी अस्पतालों में बुखार के मरीजों के लिए हेल्प डेस्क बनाई गई है। कोई अगर डेंगू का मरीज मिलता है तो उसे तुरंत भर्ती कर उपचार किया जाएगा।स्वास्थ्य महकमे के दावे के विपरीत जिले में डेंगू बुखार को लेकर विभाग की तैयारियां कागजी ही नजर आती हैं। मंडलीय अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी में सैकड़ों मरीज बुखार के आ रहे हैं। जहां हेल्पडेस्क नजर नहीं आई तो वही डेंगू वार्ड में ताला बंद है। ऐसे में कहा जा सकता है कि अगर आजमगढ़ में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तरह डेगू बुखार में दस्तक दी तो स्वास्थ्य महकमे के भरोसे रहना मरीजों के लिए घातक साबित हो सकता है।