आंख के रोगों से डिमेंशिया का कनेक्शन
आंखों की बीमारी होने पर 61 फीसदी तक याद्दाश्त घटने का खतरा, दिल की बीमारी या डिप्रेशन होने पर रिस्क और बढ़ता है; जानिए ऐसा क्यों होता है
आंखों में समस्या होने पर डिमेंशिया यानी याद्दाश्त घटने का खतरा बढ़ता है। ऐसे मरीज जिनकी आंखों की रोशनी घट रही है उनकी मेमोरी और सोचने-समझने की क्षमता घट सकती है। यह रिसर्च करने वाली चीन की गुआंगडोंग एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस के शोधकर्ताओं का कहना है, बढ़ती उम्र में आंखों की बीमारियों का कनेक्शन बुजुर्गों की घटती याद्दाश्त से है, लेकिन ऐसा क्यों है यह बात साफतौर पर सामने नहीं आ पाई है।
12,364 बुजुर्गों पर ऐसे हुई रिसर्च
आंख और ब्रेन के इस कनेक्शन को समझने के लिए स्टडी की गई। रिसर्च में 55 से 73 साल के 12,364 लोगों को शामिल किया गया। रिसर्च रिपोर्ट में सामने आया कि बढ़ती उम्र में होने वाली आंखों की बीमारी से याद्दाश्त घटने का खतरा बढ़ता है। जैसे- मैकुलर डीजेनेरेशन के मरीजों में 26 फीसदी तक डिमेंशिया का खतरा ज्यादा था। वहीं, मोतियाबिंद के मरीजों में 11 फीसदी और डायबिटीज व आंखों की समस्या से जूझने वालों में 61 फीसदी तक डिमेंशिया होने की आशंका थी।
आंखों की रोशनी और डिमेंशिया पर वैज्ञानिकों का तर्क
शोधकर्ताओं का कहना है, आंखों में समस्या होने पर याद्दाश्त घटने के पीछे सटीक वजह क्या है, साफतौर पर इसका पता नहीं चल पाया है। इसके पीछे एक वजह हो सकती है। बढ़ती उम्र में बुजुर्गों की आंखों की रोशनी घटने लगती है। इसके कारण उनके ब्रेन में होने वाली एक्टिविटी भी कम हो जाती है। इसलिए वो दोस्तों, परिजनों के चेहरों को ठीक से पहचान नहीं पाते।
ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी में पब्लिश यह रिसर्च कहती है, यूके में हर साल करीब 65 साल की उम्र वाले 50 फीसदी लोग मोतियाबिंद से जूझते हैं और 40 हजार लोग मैकुलर डीजेनरेशन से परेशान होते हैं।
डायबिटीज और दिल के मरीजों में खतरा और भी ज्यादा
शोधकर्ताओं का कहना है ऐसे मरीज जिनकी आंखों में किसी तरह की समस्या है और वो डायबिटीज, हृदय रोग, स्ट्रोक या डिप्रेशन से जूझ रहे हैं तो उनमें डिमेंशिया का खतरा और भी ज्यादा है।
रिसर्च के मुताबिक, मैकुलर डीजेनरेशन, मोतियाबिंद और डायबिटीज से जुड़ी आंखों की बीमारी में भी खतरा ज्यादा रहता है। आंखों और याद्दाश्त के बीच इस कनेक्शन को समझने की कोशिश की जा रही है।
दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे डिमेंशिया के मामले
दुनियाभर में डिमेंशिया के मामले बढ़ रहे हैं। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक दुनियाभर में डिमेंशिया के मरीज तीन गुना बढ़ जाएंगे। ऐसे मरीजों की संख्या बढ़कर 15 करोड़ से अधिक हो जाएगी। इसके सबसे ज्यादा मामले ईस्टर्न, सब-सहारा अफ्रीका, नॉर्थ अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में बढ़ रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है, हर साल डिमेंशिया के 1 करोड़ नए मामले सामने आते हैं। अमेरिकी वैज्ञानिकों की नई रिसर्च के मुताबिक, लोगों को शिक्षित करके 2050 तक इसके 60.2 लाख मामलों को बढ़ने रोका भी जा सकता है। इस रिसर्च के परिणाम पॉलिसीमेकर्स को नई रणनीति बनाने में मदद करेंगे ताकि इसके मामलों को बढ़ने से रोका जा सके।
2019 में डिमेंशिया के मरीजों की संख्या 5 करोड़ से अधिक थी। अगले तीन दशकों बाद यह आंकड़ा 15 करोड़ तक पहुंच जाएगा।