केंद्र के खिलाफ आज से देशभर में शुरू विपक्ष का विरोध प्रदर्शन, सरकार के सामने रखी थी ये मांगें

आज से देशभर में 19 विपक्षी पार्टियां केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगी। यह विरोध प्रदर्शन अगले 11 दिनों तक यानी 30 सितंबर तक चलेगा। इसको लेकर फैसला बीते माह बुलाई गई सोनिया गांधी की बैठक के दौरान ही लिया गया था।

20 अगस्त को वर्चुअल बैठक के दौरान विपक्षी पार्टियों के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि साल 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए एकता दिखानी होगी। इन पार्टियों के नेताओं ने केंद्र के सामने 11 मांगे भी रखी थीं। बैठक के बाद संयुक्त बयान में बताया गया था कि 20 से 30 सितंबर के बीच 19 विपक्षी पार्टियां देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगी।

विपक्षी दलों ने कहा था कि सरकार पेगासस मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराए, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करे, महंगाई पर अंकुश लगाए और जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करे। विपक्षी ने यह मांग की कि आयकर के दायरे से बाहर के सभी परिवारों को 7500 रुपए की मासिक मदद दी जाए और जरूरतमंदों को मुफ्त अनाज तथा रोजमर्रा की जरूरत की दूसरी चीजें मुहैया कराई जाएं।

विपक्षी पार्टियों ने कहा था, ”पेट्रोलियम उत्पादों, रसोई गैस, खाने में उपयोग होने वाले तेल और दूसरी जरूरी वस्तुओं की कीमतों में कमी की जाए। तीनों किसान विरोधी कानूनों को निरस्त किया जाए और एमएसपी की गारंटी दी जाए। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का निजीकरण बंद हो, श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाए और कामकाजी तबके के अधिकारों को बहाल किया जाए।” विपक्ष ने सभी राजनीतिक कैदियों को भी रिहा करने की अपील की थी।

विपक्षी दलों ने सरकार से आग्रह किया, ”एमएसएमई क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन पैकेज दिया जाए, खाली सरकारी पदों को भरा जाए। मनरेगा के तहत कार्य की 200 दिन की गारंटी दी जाए और मजदूरी को दोगुना किया जाए। इसी तर्ज पर शहरी क्षेत्र के लिए कानून बने। उन्होंने कहा कि शिक्षकों, शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों और छात्रों का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण हो।”

उन्होंने कहा, ”हम केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के उस रवैये की निंदा करते हैं कि जिस तरह उसने मॉनसून सत्र में व्यवधान डाला, पेगासस सैन्य स्पाईवेयर के गैरकानूनी उपयोग पर चर्चा कराने या जवाब देने से इनकार किया, कृषि विरोधी तीनों कानूनों निरस्त करने की मांग, कोविड महामारी के कु्प्रबंधन, महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा नहीं कराई।”

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार के स्तर पर हुए ‘व्यापक कुप्रबंधन के कारण लोगों को गहरी पीड़ा से गुजरना पड़ा और संक्रमण के मामलों और मौत के आंकड़ों को भी कम करके बताने की बात भी कई अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय एजेंसियों के संज्ञान में आईं।

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