प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना की खुली पोल, जानिए पूरा मामला
बीमा कंपनियों द्वारा मृतकों के आश्रतो से की जा रही अवैधानिक मांगो के विरूद्ध दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने चार सप्ताह के अंदर जबाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया | उच्च न्यायालय ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी, बैंक आफ महाराष्ट्र सहित प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना रीजनल डायरेक्टर इंदौर को मिला नोटिस
प्रधानमंत्री द्वारा 2015 में देश के समस्त बचत खाता धारकों को रू 12 प्रति वर्ष प्रीमियम पर 2 लाख रुपया दुर्घटना में मृत्यु होने पर मृतक के आश्रतो को क्षतिपूर्ति देने की योजना लागू की गई थी, तथा समस्त राष्ट्रीयकृत बैंकों में बचत खाता धारकों के खाते से संवंधित बैंक, प्रति वर्ष 12 काटकर संवंधित बीमा कंपनियों को प्रेषित करने का प्रावधान है तथा खाता धारक की मृत्यु की दशा में संवंधित बैंक के माध्यम से 2 माह के भीतर आश्रतो द्वारा दावा प्रकरण दस्तावेजो सहित बीमा कंपनी को प्रेषित करने का प्रावधान है अर्थात बीमा कंपनी एव हितग्राही का बीमा कंपनी से सीधा सम्वन्ध नही होता, बीमा की क्षतिपूर्ति राशि दिलवाने की जिम्मेवारी संवंधित बैंक की होती है ।
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हजारो लाखो खाता धारकों के आंश्रतो को उक्त जानकारी न होने के कारण वीमा राशि प्राप्त नही हो पाती है । इसी प्रकार रहली गढ़ाकोटा जिला सागर के ग्राम जरियाखिरिया निवासी चंद्रभान लोधी जो जबलपुर अस्पताल सहित जामदार एवं मेट्रो अस्पताल में टेक्नीशियन का कार्य करते थे तथा एम्बूलेंस में मरीजों के साथ जबलपुर से नागपुर इलाज हेतु आते जाते थे | दिनक नागपुर से आते समय लखनादौन के पास एम्बुलेंस का एक्सीडेंट हो जाने से दिनांक 2 अप्रेल 2020 को उनकी मृत्यु हो गई । उनका बचत खाता महाराष्ट्र बैंक जबलपुर अस्पताल ब्रांच में था, निर्धारित समय सीमा में बैंक के माध्यम से उनकी पत्नी श्रीमती सवितारानी लोधी द्वारा दावा प्रस्तुत किया गया दावा प्रस्तुती दिनांक से लगभग 50-55 दिनों बाद यूनाइडेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी पुणे द्वारा एक पत्र सीधे मृतक की पत्नी के पते पर डाक से प्रेषित कर निम्नलिखित दस्तावेजो की मूल प्रतिओं की मांग की गई।
FIR की ओरिजनल प्रति जिसमे पुलिस अधीक्षक के हस्ताक्षर हो एवं पुलिस की गोल सील लगी होना चाहिए (2) मृतक की पोस्टमार्डम रिपोर्ट की ओरिजनल कॉपी जिनमे डॉ के हस्ताक्षर एवं सील लगी होना चाहिए(3)मृतक के विसरा संग्रहण किए जाने की जानकारी तथा बिसरा रिपोर्ट(4)बैंक द्वारा विगत वर्षों जमा गई प्रीमियम की राशि की जानकारी पासबुक सहित(5)उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र सहित 10 बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई तथा 10 दिनों के अंदर प्रस्तुत नही किए जाने की दशा में दावा निरष्ट कर दिया जाएगा ऐसा उस नोटिस में बयान किया गया। उक्त पत्र को बैंक आफ महाराष्ट को दिखाया गया बैंक के अधिकारियों ने बीमा कंपनियों के आलाअधिकारियों से बात की गई फिर भी बीमा कंपनी ने दावा राशि नही दी | तब बीमा कंपनी के उक्त कृत्यों के विरूद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर कर बीमा कंपनी द्वारा अनावश्यक रूप से की जा रही दस्तावेजो के मांग पत्र को निरस्त करने एवं दावा क्षतिपूर्ति राशि दिलाए जाने की राहत सहित बीमा कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की मांग याचिकाकर्ता द्वारा की गई है । याचिका की प्रारंभिक सुनवाई माननीय न्यायाधीश विशाल धगट द्वारा की गई अधिवक्ता रामेश्वर सिंह द्वारा कोर्ट को बताया गया कि प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना देश की कल्याणकारी योजना है जिसके तहत दावा राशि हेतु दावा फार्म बैंक के प्रमाणीकरण के वाद बीमा कंपनी दावा राशि देने बाध्य है |
इस योजना के तहत बीमा धारक एवम बीमा कंपनी का सीधा सम्वन्ध नही होता है | किसी भी त्रुटि हेतु बैंक जिम्मेदार है तथा डिजिटल इंडिया की अवधारणा को दृष्टिगत रखते हुए बीमा कंपनी द्वारा की जा रही ओरिजनल दस्तावेजो की प्रति अवैधनिक एवं दोषपूर्ण है | इस प्रकार की कंपनियां देश की कल्याणकारी योजनाओं के उद्देश्यो को विफल कर रही है, इस प्रकार की बीमा कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया जाना चाहिए । अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के उक्त तर्कों की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए न्यायालय द्वारा यूनाइडेट इंडिया इंश्योरेंस कंपनी, बैंक आफ महाराष्ट तथा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के रीजनल डायरेक्ट इंदौर से याचिका में उठे गये मुद्दो का 4 सप्ताह के अंदर जबाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए ।