कभी दुष्यंत के दादा ने किया था तख्तापलट, अब पोता बना किंग मेकर
हरियाणा विधानसभा चुनावों में किंगमेकर की भूमिका में उभरे दुष्यंत चौटाला ने ‘तख़्तापलट’ जैसा कुछ कारनामा किया। उनके समर्थन को जहाँ कांग्रेस तरस रही थी, वहीँ बीजेपी को समर्थन दे दुष्यंत ने बाज़ी पलट दी। लेकिन ये गुण उनमे अपने आप नहीं आया। ये आखिरी वक़्त में बाज़ी पलटने का गुण उन्हें उनके दादा यानी ओम प्रकाश चौटाला से विरासत में मिला है।
जिस तरह 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में बाज़ी पलटते हुए दुष्यंत चौटाला ने अपनी किंगमेकर की पहचान बनाई है, वैसा ही कुछ ओम प्रकाश चौटाला ने अपने राजनीतिक करियर के शुरूआती दौर में किया था। इनेलो से अपने ही पिता द्वारा निकाले जाने के बावजूद एक मौका मिलते ही ओम प्रकाश चौटाला ने अपने भाई रंजीत सिंह को दरकिनार करते हुए इनेलो की कमान संभाल ली।
दरअसल 1982 में देवीलाल के हारने की मुख्य वजह ओम प्रकाश चौटाला को माना जा रहा था। उनके ऊपर अपनी ही पार्टी के 6 विधायकों को जान बूझकर हारने के आरोप लगाए गए, जिससे नाराज़ होकर देवीलाल ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद 1987 में भारी बहुमत के साथ इनेलो ने वापसी की और देवीलाल चौटाला की सरकार बनी। इसमें रंजीत सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया था।
इसके बाद 1989 में देवीलाल चौटाला के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री का पद खाली हो गया जिसपर रंजीत चौटाला के बैठने के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन ओम प्रकाश चौटाला ने देवीलाल पर जादू सा चलते हुए उन्हें न जाने कैसे अपने बस में किया, कि देवीलाल ने पार्टी से बेइज़्ज़त कर बाहर किए ओम प्रकाश चौटाला को ही मुख्यमंत्री का पद सौंप दिया। तख्तापलट कर मुख्यमंत्री बनते ही ओम प्रकाश चौटाला ने अपने भाई को दरकिनार करते हुए पूरी पार्टी की बागडोर अपने हाथ में ले ली। वहीँ रंजीत सिंह चौटाला ने इसके बाद कांग्रेस का दामन थाम लिया।