11 लाख की आबादी वाले महोबा में 16 मई तक हुई मात्र 431 लोगों की Covid-19 जांच, सीएमओ का लेटर हुआ वायरल
- सीएमओ का लेटर हुआ वायरल जनता के उड़े होश
- जनपद में अब तक मात्र कराई गई हैं 431 कोरोना जांच
- डीएम महोबा के संबोधित पत्र ने खोली प्रशासनिक लापरवाही की पोल
- जनपद में अब तक मात्र कराई गई हैं 431 कोरोना जांचे
- सीएमओ ने जिलाधिकारी महोबा को इसी महीने के 16 तारीख को लिखा था लेटर
- 11 लाख की आबादी वाले जनपद में कोरोनाजांच के नाम पर की जा रही है खानापूर्ति
- जनता के बीच खासा वायरल हो रहा है सीएमओ का पत्र
- जांच न होने के चलते जिले में और भी कोरोना बम के फटने का बना हुआ है खतरा
उत्तर प्रदेश के महोबा जनपद में सरकारी हीला हवाली की दिन-ब-दिन निकल कर सामने आ रही तस्वीर ने आम जनता की आखों से रातों की नींद उड़ा कर रख दी है। अफसरानों की लापरवाही के चलते जनपद की आवाम को जहां खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कोरोना के प्रति बरती जा रहीं सरकारी सुस्त नीतियों ने काबिज हुक्मरानों की कार्य प्रणाली पर ही सवालिया निशान लगा दिए हैं। अभी हाल ही में बीजेपी सदर विधायक राकेश गोस्वामी और चरखारी विधानसभा से बीजेपी के विधायक ब्रजभूषण राजपूत द्वारा सरकारी तंत्र के खिलाफ न सिर्फ भृष्टाचार के आरोप लगाए गए थे बल्कि हुक्मरानों द्वारा आम जनता के प्रति बरती जा रही लापरवाही को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर प्रशासनिक अधिकारियों की शिकायत भी दर्ज कराई गई थी।
इतना कुछ होने के बाउजूद भी प्रशासनिक सुस्त नीतियों में कोई खासा बदलाव देखने को नही मिल रहा है। जिला चिकित्सालय में कार्यरत दो कर्मचारियों को कोरोना सक्रमित पाए जाने पर साफ तौर पर उन्हे अस्पताल में कार्यरत कर्मचारी मानने से इनकार कर देने वाली जिले की मुख्य चिकित्साधिकारी डा. सुमन द्वारा डीएम महोबा को लिखा जाने वाला एक पत्र काफी वायरल हो रहा है। वायरल पत्र में जनपद में इसी महीने यानी की 16 मई तक मात्र 431 कोरोना मरीजों की जांच कराने के आकड़े साफ तौर पर अंकित दिखाए गए है जबकि जनपद की आबादी 10 लाख से अधिक जा पहुची है। कोविड-19 संक्रमण के चलते जनपद में अब तक हजारों की तादात में प्रवासी मजदूर घर वापसी कर चुकें हैं उसके बाउजूद भी जांच का आकड़ा सिर्फ 431 पर अटका हुआ दिखाई दे रहा है।
सरकारी लापरवाही को उजागर करता ये लेटर जहां यूपी के मुखिया माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ के कोरोना मुक्त जनपद बनाने के मंसूबे पर पानी फेरता नजर आ रहा है। वहीं अफसरानों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगा रहा है। भविष्य में कब और कैसे इस लापरवाह अफसरशाही पर लगाम लगेगी ये देखने और समझने वाली बात होगी। वहीं आज के हालातों को देखते हुए आने वाले कल को न तो सुरक्षित कहा जा सकता है और न ही माना।