लॉकडाउन और बरसात की दोहरी मार झेल रहा है प्याज किसान, लागत निकालना भी हुआ मुश्किल
कोरोना की वजह से लाकडाउन और इसके बाद बारिश, इन सभी का किसानों पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ा है और इस तिकड़ी ने गाजीपुर के प्याज किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। जनपद में प्याज का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है और यहां दूसरे प्रदेशों में प्याज जाती है। कुछ किसान खुद मंडियों में जाकर अपनी फसल बेचते हैं पर ज्यादातर बिचौलिए गांवों में जाकर किसानों से फसल खरीदते हैं पर कोरोना की वजह से किसानों की फसल न तो बाहर जा पायी न ही बिचौलिये गांव में फसल खरीदने आ पाये। इसके बाद बारिश भी हो गयी और किसानों पर दोहरी मार पड़ गयी। अब हालत ये है कि किसानों की लागत को भी निकलना मुश्किल हो गयी है। किसानों की प्याज यदि कम से कम 14 रुपये किलो बिके तो उनकी लागत निकलती है पर अब किसानों की लागत निकलनी भी मुश्किल हो गयी है।
गाजीपुर जनपद का करइल क्षेत्र प्याज के पैदावार के लिए जाना जाता है लेकिन प्याज उगाने वाले किसान अपनी अच्छी फसल के बावजूद परेशान हैं । एक तरफ कोरोना के कारण वह प्याज मंडी में ले जाकर नहीं बेच पा रहे हैं तो दूसरी तरफ बिन मौसम बरसात नें प्याज कुड़ाई के काम को बुरी तरीके से प्रभावित किया है।
खेतों में रखी प्याज को बोरों भरते समय किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है । एक तरफ करोना किसानों की पैदावार को मंडी तक पहुंचने में अवरोध पैदा किया है । वहीं बिन मौसम हो रही बरसात ने प्याज कुड़ाई के लिए तैयार हो चुके प्याज को बर्बादी के कगार पर ला दिया है । किसानों की माने तो अगर ऐसे ही एक दो और बरसाते हुई तो प्याज खेतों में ही सड़ जाएंगे । इस मसले पर मीडिया से बात करते हुए प्याज उगाने वाले किसान संतोष राय ने बताया कि एक बीघा खेत में प्याज की रोपाई का खर्च ₹10000 आता है जब की कुड़ाई और अन्य चीजों को करने के उपरांत कुल खर्च 35 हजार से ₹40 हजार प्रति बीघे पड़ता है ऐसे में अगर किसान ₹10 प्रति किलो के हिसाब से प्याज की बिकवाली करते है तो लागत भी निकालना मुश्किल हो जाएगा । किसानों ने बताया कि अगर प्याज की कीमत ₹14 रुपए किलो के आसपास जाती है तब जाकर प्याज की लागत आएगी और ₹14 से ऊपर प्याज का भाव होने पर कुछ फायदा मिल पाएगा। ऐसे में सरकार को प्याज के किसानों के तरफ ध्यान देना चाहिए और एक निर्धारित मूल्य भी गेहूं और धान की तरह तय करनी चाहिए जिससे कि किसान को यह ज्ञात हो सके की अमूमन प्याज का क्या रेट क्या चल रहा है।
वहीं प्याज उत्पादक किसानों की समस्या को लेकर सरकार के पास कोई ठोस योजना नहीं है। इस मसले पर जब जिला उद्यान अधिकारी से बात की गया तो उन्होंने प्याज किसानों की बदहाली पर यह कहते हुए अपनी जिम्मेदारी पूरी करने की कोशिश की कि प्याज जल्दी खराब होने वाली चीज नहीं है और ऐसे में किसान जब ज्यादा कीमत मिले तब इसकी बिकवाली कर सकते है।
भारत कृषि प्रधान देश है और किसानों को अपनी पैदावार के लिए मौसम पर निर्भर रहना पड़ता है ऐसे में लॉक डाउन में हो रही बरसात में प्याज उत्पादक किसानों की परेशानी की मार को और गहरा कर दिया है ।