सुहागरात के दिन पूरा गांव रहता है घर से बाहर, जाने क्या वजह है।
उत्तर प्रदेश/राजस्थान/मध्य प्रदेश –दुनिया में शादी को लेकर तरह-तरह के रिवाज हैं। कुछ परंपराएं ऐसी भी हैं जिन पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होता है। इन सभी रस्मों के लिए केवल महिलाओं और लड़कियों को ही भुगतान करना पड़ता है। जबकि पुरुषों के लिए यह मायने नहीं रखता।
शादी के जश्न का माहौल है, सभी लोग उत्साहित नज़र आ रहे हैं।शादी का कार्यक्रम खत्म होने के बाद कुछ लोग दूल्हा दुल्हन के कमरे के बाहर बैठकर शराब पी रहे हैं।
थोड़ी देर बाद यह लोग आवाज़ लगा कर दूल्हे से पूछते हैं- माल असली है या नकली लोग दूल्हा-दुल्हन के कमरे के बाहर ही जमे रहते हैं।अगली सुबह पंचायत बैठती है, तब दूल्हा-दुल्हन को खून से सना सफ़ेद कपड़ा पंचायत के सदस्यों को दिखाना पड़ता है।अगर सफ़ेद कपड़े में खून लगा होगा तो शादी को जायज़ माना जाएगा वरना नहीं। क्योंकि अगर चादर पर खून नहीं होगा तो उसका अर्थ यह माना जाता है कि लड़की कुंवारी नहीं है।
इन्हें सांसी और कंजरभाट के नाम से भी जाना जाता है।इनकी अनुमानित आबादी 15 से 20 लाख तक है जिसका सबसे बड़ा हिस्सा राजस्थान, उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश में रहता है।इसमें शादी की औपचारिकताओं के बाद दुल्हन को एक कमरे में ले जाया जाता है। जहां एक उम्रदराज़ महिला रिश्तेदार उसकी जांच करती है। इस जांच के दौरान दुल्हन को पूरी तरह से निर्वस्त्र किया जाता और छानबीन की जाती है कि कहीं उसने कोई नुकीली चीज़ अपने पास छुपा तो नहीं रखी है।
यहां तक कि उसकी चूड़िया तक उतरवा ली जाती है।इस डर का फायदा उठाकर बाज़ार विज्ञान का इस्तेमाल करके मुनाफ़ा कमा रहा है। ऐसे में सतत विकास के सपने को साल 2023 तक पूरा करना एक कल्पना मात्र ही हैं। क्योंकि जब तक पितृसत्ता का खौफ कायम रहेगा, तब तक सही मायनों में विकास नहीं हो सकता।