महानवमी: CM Yogi ने कन्याओं का पांव पखार कर की मातृ शक्ति की आराधना
CM Yogi आदित्यनाथ ने महानवमी के मौके पर कन्याओं का पांव धोकर मातृ शक्ति की आराधना की। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तब समाज सुरक्षित और समृद्ध बनता है।
महानवमी: CM Yogi ने कन्याओं का पांव पखार कर की मातृ शक्ति की आराधना
उत्तर प्रदेश के CM Yogi आदित्यनाथ ने महानवमी के मौके पर कन्याओं का पांव धोकर मातृ शक्ति की आराधना की। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तब समाज सुरक्षित और समृद्ध बनता है। इस अनूठे समारोह में मुख्यमंत्री ने महिलाओं की भूमिका और उनके योगदान को सराहा।
CM Yogi मातृ शक्ति का सम्मान
महानवमी के दिन, सीएम योगी ने कन्याओं को आमंत्रित किया और उनके पांव धोकर उनका सम्मान किया। यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह समाज में महिलाओं की शक्ति और उनके प्रति सम्मान की भावना को भी दर्शाती है। CM Yogi ने कहा, “महिलाएं हमारे समाज की आधारशिला हैं। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तब परिवार और समाज भी मजबूत बनता है।”
महिलाओं की सशक्तीकरण की आवश्यकता
CM Yogi ने आगे कहा कि आज की दुनिया में महिलाओं को उनके अधिकार और अवसर प्रदान करना आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। “जब हम महिलाओं को सशक्त करते हैं, तब हम एक मजबूत और सुरक्षित समाज की दिशा में कदम बढ़ाते हैं,” उन्होंने कहा।
समाज में सकारात्मक बदलाव
CM Yogi ने यह भी कहा कि मातृ शक्ति को सम्मानित करना केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक माध्यम है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे महिलाओं के प्रति सम्मान और समानता की भावना को आगे बढ़ाएं। योगी ने कहा, “हमें अपने घर से शुरू करके महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करनी होगी।”
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
महानवमी का पर्व देवी दुर्गा की आराधना का प्रतीक है। इस दिन कन्याओं का सम्मान करने की परंपरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो शक्ति, साहस और समर्पण का प्रतीक है। सीएम योगी ने कहा कि यह पर्व हमें प्रेरित करता है कि हम महिलाओं के अधिकारों के प्रति संवेदनशील रहें और उनके योगदान को मान्यता दें।
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महानवमी पर सीएम योगी का यह संदेश समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सशक्तीकरण की आवश्यकता को दर्शाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तब समाज सुरक्षित और समृद्ध होता है। इस प्रकार, यह पर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके अधिकारों की रक्षा का भी एक माध्यम है।