गोरखपुर के चिड़ियाघर में ओडीओपी प्रोडक्ट को भी प्लेटफार्म दिया गया
सूत्रों ने बताया कि 34 एकड़ के विशाल वेटलैंड वाला पहला चिड़ियाघर है। इस वेटलैंड के संरक्षण पर ध्यान देने से यहां दो सालों से स्थानीय पक्षियों के साथ बहुतायत में प्रवासी पक्षी विचरण करने आ रहे हैं। इसके अलावा तमाम खूबियां इसे नायाब बना रही हैं। इंडोर बटरफ्लाई पार्क, सरपेंटेरियम (सांप घर) और वाक थ्रू एवियरी सहित कई नायाब खूबियां हैं।
चिड़ियाघर में 48 सीटर 7-डी थियेटर भी बनाया गया है। यह सरकारी क्षेत्र का पहला 7-डी थियेटर है। इस अत्याधुनिक थियेटर में शो के दौरान बारिश, बिजली, बुलबुले, धुआं और कोहरा आदि के साथ सुगंध का भी अहसास होगा। इसके निर्माण पर सवा दो करोड़ रुपए की लागत आई है। इसमें शो के दौरान 13 तरह के स्पेशल इफेक्ट देखे और महसूस किए जा सकेंगे।
गोरखपुर के चिड़ियाघर में ओडीओपी प्रोडक्ट को भी प्लेटफार्म दिया गया है। इससे पर्यटकों को यहीं ओडीओपी उत्पाद देखने और खरीदने की सुविधा भी मिलेगी। यहां के ओडीओपी शोकेस से टेराकोटा जैसे विश्व प्रसिद्ध पारम्परिक उत्पाद की ब्रांडिंग भी और मजबूत होगी।
चिड़ियाघर में वन्यजीवों के लाने का सिलसिला कुसम्ही जंगल स्थित विनोद वन से शुरू हुआ। वर्तमान में यहां 153 वन्यजीवों से बाड़े आबाद हैं। इटावा लायन सफारी से यहां गुजरात के बब्बर शेरों की फरवरी में आमद हुई। चीता, तेंदुआ, दरियाई घोड़ा, हिरण, बारासिंघा, चीतल, सियार, अजगर, रसल वाइपर, बोनट मकाक (बंदर की एक प्रजाति), सांभर, लोमड़ी (फाक्स), काकड़ (बार्किंग डियर), पाढ़ा (हॉग डियर), घड़ियाल, जंगली बिल्ली, कछुआ, साही, तोता, मोर आदि यहां लाए जा चुके हैं।