राज्यसभा में एक गरमागरम बहस”Mrs. Bachhan , I know my tone , I know my language”: Jagdeep Dhankar

जगदीप धनखड़ और समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन के बीच विवाद हो गया। यह विवाद तब शुरू हुआ जब बच्चन ने धनखड़ की टोन पर आपत्ति जताई।

9 अगस्त 2024 को राज्यसभा में एक गरमागरम बहस हुई, जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन के बीच विवाद हो गया। यह विवाद तब शुरू हुआ जब बच्चन ने धनखड़ की टोन पर आपत्ति जताई। बच्चन का आरोप था कि धनखड़ की बात करने का तरीका अपमानजनक था, जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने विरोध स्वरूप सदन से बाहर जाने का निर्णय लिया।

धनखड़ ने इस विवाद के बीच अपने जवाब में कहा कि सदन में शालीनता और सम्मान बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने इस स्थिति की तुलना एक अभिनेता और निर्देशक के रिश्ते से की, यह बताते हुए कि कैसे पेशेवर रिश्तों में आदर और अनुशासन महत्वपूर्ण होता है।

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा शुरू हो गई। लोगों की राय बंटी हुई थी कि किस पार्टी का व्यवहार सही था और किसे सुधारने की आवश्यकता है। यह विवाद संसद के कार्यप्रणाली और संसद के भीतर शालीनता के महत्व पर एक नई बहस का हिस्सा बन गया।

धनखड़ के नेतृत्व में राज्यसभा की बैठक चल रही थी, और बच्चन ने उनके तरीके पर सवाल उठाया। बच्चन का कहना था कि उपराष्ट्रपति ने उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया और उनकी बात करने का तरीका उनके लिए अस्वीकार्य था। इसके चलते, विपक्षी सांसदों ने विरोध स्वरूप सदन से वॉकआउट किया। बच्चन का आरोप था कि धनखड़ की भाषा और व्यवहार ने उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई है।

इस बीच, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संसद में अनुशासन और शालीनता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी संसद सदस्य को व्यक्तिगत सम्मान का आदान-प्रदान करना चाहिए और सदन की कार्यवाही के दौरान सभी को उचित सम्मान प्रदान करना चाहिए। धनखड़ ने इस स्थिति की तुलना एक अभिनेता और निर्देशक के रिश्ते से की, यह बताते हुए कि जैसे एक अभिनेता को अपने निर्देशक का सम्मान करना चाहिए, वैसे ही संसद में भी सभी को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।

धनखड़ की यह टिप्पणी और उनकी स्पष्टता ने विवाद को और भी गर्मा दिया। सोशल मीडिया पर इस घटना की व्यापक चर्चा शुरू हो गई। लोगों ने विभिन्न दृष्टिकोणों से इस घटना का विश्लेषण किया। कुछ लोगों ने धनखड़ की स्थिति का समर्थन किया, जबकि दूसरों ने जया बच्चन के दृष्टिकोण पर विचार किया और उनकी संवेदनाओं को समझाने की कोशिश की।

इस घटनाक्रम के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि जया बच्चन और अन्य सांसद इस विवाद से कुछ सीखेंगे और सदन में बेहतर संवाद और शालीनता का पालन करेंगे। यह घटना संसद की कार्यप्रणाली और विधायिका के भीतर आदर और सम्मान के महत्व पर एक महत्वपूर्ण संकेत देती है।

 

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