स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर केन्द्र और दिल्ली सरकार को नोटिस
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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादियों के लिए आपत्ति मंगाने को लेकर जारी किए जाने वाले सार्वजनिक नोटिस के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया है।
याचिका निदा रहमान ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील उत्कर्ष सिंह ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 6 और 7 के तहत शादी के पहले सार्वजनिक नोटिस जारी करने का प्रावधान किया गया है। स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 6 के तहत मैरिज अफसर को सार्वजनिक नोटिस जारी कर आम जनता से 30 दिनों के अंदर आपत्ति मंगाई जाती है। धारा 7 के तहत कोई व्यक्ति शादी को लेकर आपत्ति जता सकता है।
याचिका में कहा गया है कि नोटिस में मैरिज अफसर शादी करने वाले जोड़े की विस्तृत जानकारी प्रकाशित करवाता है। याचिका में कहा गया है कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत इस तरह का नोटिस प्रकाशित करवाना संविधान की धारा 21 के तहत निजता के अधिकार और संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है कि इस नोटिस के प्रकाशन के बाद स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करने वाले जोड़े को खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि इसके तहत शादी करने वाले अधिकांश जोड़े अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ होते हैं। याचिका में कहा गया है कि स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 6 और 7 संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है। हिंदू या मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी करने के लिए ऐसे नोटिस के प्रकाशन की जरूरत नहीं होती है।