प्रधानमंत्री के ना कोई घुसा है ,ना कोई घुसा हुआ है: जयराम रमेश
रणनीतिक रूप से काफ़ी महत्वपूर्ण डेपसांग क्षेत्र में भारतीय गश्ती दल को तीन साल से भी अधिक समय से पेट्रोलिंग करने से रोका जा रहा है। वहां न तो अभी हमारी पहुंच है और न ही पहले की तरह स्थिति बहाल होने के कोई संकेत ही मिल रहे हैं।
अब हमें पता चला है कि पीछे हटना तो दूर, चीनी भारतीय क्षेत्र में 15-20 किलोमीटर और अंदर एक “बफर ज़ोन” की मांग कर रहे हैं। जबकि वे पहले ही हमारी सीमा में 18 किलोमीटर घुसपैठ कर चुके हैं। चीन की वापसी के बदले में मोदी सरकार पहले ही बफर ज़ोन के लिए सहमति जताकर भारतीय क्षेत्र के गालवान, पैंगोंग त्सो, गोगरा पोस्ट और हॉट स्प्रिंग्स इलाके में भारतीय भूमि का त्याग कर चुकी है।
मोदी सरकार को चीन के ख़िलाफ़ मजबूती से खड़ा होना चाहिए। भारत 1,000 वर्ग किलोमीटर के डेपसांग मैदानों तक अपनी पहुंच नहीं खो सकता है, जो चीनी और पाकिस्तानी सेना को अलग करता है। यह क्षेत्र लद्दाख की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
19 जून, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक रूप से जिस तरह चीन को क्लीन चिट दी, उसने बातचीत में भारत की स्थिति को बेहद कमज़ोर कर दिया है। प्रधानमंत्री के “ना कोई घुसा है, ना कोई घुसा हुआ है” बयान का देश भारी क़ीमत चुका रहा है। यह बेहद गंभीर बात है कि मोदी सरकार पिछले तीन वर्षों में पहले की स्थिति बहाल करने में विफल रही है। इस स्थिति को और बिगड़ने देना क्षमा न करने योग्य अपराध होगा