क्यों सख्त है रोहिंग्या पर धामी सरकार?
उत्तराखंड में पिछले कुछ समय में क्राइम बढ़ा है. अब इस मुद्दे को आबादी के बदले हुए समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है , बीते दिनों उत्तराखंड में इसका सबसे बड़ा
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आयोजित हुए न्यूज़नशा के कॉन्क्लेव ‘ शिखर पर उत्तराखंड ‘ में सीएम धामी मे उत्तराखंड के विकास को लेकर कई बातें कही , वही एक सवाल सीएम धामी से उत्तराखंड में हो रहे मदरसों के सर्वे पर भी किया गया ।
दरअसल , उत्तराखंड में पिछले कुछ समय में क्राइम बढ़ा है. अब इस मुद्दे को आबादी के बदले हुए समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है , बीते दिनों उत्तराखंड में इसका सबसे बड़ा उदाहरण नैनीताल मे देखा गया जब वहा एक विशेष समुदाय के लोगो ने सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा कर लिया था जिसके बाद ये मामला हाई कोर्ट तक गया। इसी मुद्दे पर सीएम धामी ने न्यूज़ नशा के कॉन्क्लेव में कहा की , ” ये बड़ी चिंता तक विषय है की पिछले सालों में उत्तराखंड में धर्मान्तरण को लेकर काफी असमानताएं देखने को मिली है , इसको लेकर सरकार सर्वे कर रहीं है और धर्मान्तरण के कानून को और सख्त बनाने जा रही है”. उन्होंने आगे ये भी कहा की धामी सरकार का ये कानून हिंदुस्तान के कानूनों में से सबसे सख्त कानून होने वाला है क्यूँकि सरकार ये नही चाहती की गैर लोग उत्तराखंड में आकर बसे और गैर गतिविधियों को अंजाम दे जिससे प्रदेश की कानून व्यवस्था बिगड़े, इसलिए रोहिंग्या को लेकर धामी सरकार आने वाले दिनों में और सख्त कार्यवाही कर सकती है!
दरअसल बीते दिनों जब ये मामला हाई कोर्ट तक गया और सरकार की तरफ से मांग पत्र जारी हुई तो उसमे बताया गया की बाहरी लोग रेहड़ी पटरी लगाने से लेकर कबाड़ और टैक्सी का कारोबार कर रहे हैं. शहर के कृष्णापुर, बूचड़खाना, सूखाताल, हरिनगर, बारापत्थर, सीआरएसटी स्कूल के पीछे वाले इलाकों में इनकी तेज़ी से बसाहट भी हुई है. इन लोगों को बाहरी कहते हुए आरोप लगाया गया है कि नैनीताल के साथ ही भीमताल, भवाली और रामगढ़, मुक्तेश्वर तक ये फैल रहे हैं और यहां आपत्तिजनक घटनाओं को भी अंजाम दे रहे हैं.
कौन है रोहिंग्या मुसलमान!
रोहिंग्या म्यांमार (बर्मा) के मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। ये बांग्लादेश की सीमा से लगे पश्चिमी म्यांमार में भौगोलिक रूप से अलग-थलग पड़े रखाइन क्षेत्र के उत्तरी हिस्से में रहते हैं। रोहिंग्या म्यांमार के बहुसंख्यक बौद्ध समुदाय से जातीय, भाषाई और धार्मिक रूप से अलग हैं। रखाइन म्यांमार का सबसे कम विकसित क्षेत्र है। इसमें 78 फीसदी से ज्यादा परिवार गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। लगभग 11 लाख रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन क्षेत्र में रहते हैं।
बीजेपी क्यों करती है विरोध?
बीजेपी और हिंदू संगठन कहते रहे हैं कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों को पूरी योजना के साथ उत्तराखंड में बसाया जा रहा है। बद्रीनाथ, हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे क्षेत्रों में इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है। हिंदू संगठनों को शक है कि इसके पीछे बड़ी साजिश है। उन्हें इसके पीछे भूमि जिहाद का भी डर है। वो आरोप लगाते हैं कि राज्य के पहाड़ी इलाकों में हिंदू अपने घरों को छोड़ रहे हैं। वहीं, बाहर से आए रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान हिंदुओं की जमीनें खरीद रहे हैं। इस तरह उन्होंने स्थायी तौर पर यहां रहने का रास्ता खोज लिया है।
उत्तराखंड में रोहिंग्या कैसे है चिंता का विषय!
एक सर्वे द्वारा ये बताया जा रहा है की उत्तराखंड में तराई क्षेत्र से लेकर पहाड़ तक रोहिंग्या मुसलमान फैल चुके है , बांग्लादेश के रास्ते भारत में दाखिल हुए रोहिंग्या ने नेपाल के बाद पहाड़ को सुरक्षित ठिकाना बना लिया है। दलालों के माध्यम से ये हल्द्वानी व ऊधम सिंह नगर के रास्ते उत्तराखंड के पूरे कुमाऊं मंडल में पहुंच गए हैं। स्थानीय विशेष समुदाय में घुल-मिल धीरे-धीरे अब ये सुरक्षा के साथ ही संप्रभुता के लिए भी चुनौती बन गए हैं।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार इनका पहाड़ तक पहुंचने का रूट बड़े खतरे की तरफ संकेत कर रहा है। मसलन, इनके लिए बांग्लादेश से लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड तक विशेष कारिडोर तैयार किया गया। इसमें उत्तराखंड से सटे उत्तर प्रदेश के कई जिले भी अतिसंवेदनशील श्रेणी में हैं। यहां से उन्हें आज भी बड़ी मदद मिल रही है। लेकिन इसी कारण की वजह से उत्तराखंड धर्मांतरण असमानताएं देखने को मिल रहे है जिसको लेकर धामी सरकार देश का सबसे सख्त कानून आने वाले दिनों में उत्तराखंड में लाने वाली है