कोरोना का नया रूप डेल्टा वैरिएंट युवाओं को बना रहा शिकार,

अमेरिका की आपबीती से भारत को सबक लेना जरूरी; डॉक्टर बोले-वैक्सीनेशन सबसे जरूरी

अमेरिका के इलिनोइस राज्य की राजधानी स्प्रिंगफील्ड के कॉक्सहेल्थ मेडिकल सेंटर में पिछले दिनों 28 साल के एक कोरोना पॉजिटिव युवक की मौत हो गई। इसी तरह वहां एक 21 साल के पॉजिटिव लड़के की हालत खराब होने के बाद उसे ICU में भर्ती कराना पड़ा। ये कोई गिने-चुने किस्से नहीं बल्कि अमेरिका के तकरीबन सभी शहरों के अस्पतालों का हाल है।

जी हां, कोरोना का डेल्टा वैरिएंट अमेरिका में 49 साल से कम उम्र के नौजवानों को तेजी से निशाना बना रहा है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश के अस्पतालों में बड़ी संख्या में कोरोना के चलते गंभीर रूप से बीमार युवा भर्ती हो रहे हैं। इनमें खासतौर पर वो युवा शामिल हैं जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है। इनमें भी 20 से 30 साल की उम्र वाले मरीज ज्यादा हैं। कोरोना का नया रूप पिछली बार से एकदम उलट है, जिसमें कोरोना ने उम्रदराज मरीजों को ज्यादा निशाना बनाया था।

अमेरिका का यह ट्रेंड अपने देश के लिए अलार्म है। भले ही भारत में इन दिनों अमेरिका के मुकाबले कोरोना धीमा पड़ गया है, लेकिन इन नए मामलों में डेल्टा वैरिएंट की हिस्सेदारी अमेरिका से ज्यादा है। अमेरिका में कोरोना के नए केसों में डेल्टा वैरिएंट के 80% मामले हैं तो भारत में 87% हैं। वहीं, आबादी के हिसाब से भारत में वैक्सीन लगने की दर भी अमेरिका के मुकाबले काफी कम है।

पिछले साल से अलग हालात, इस बार युवा ज्यादा भी और गंभीर भी

अमेरिका के कोविड हॉटस्पॉट में काम कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि उनके अस्पतालों में पहुंच रहे मरीज पिछले साल की तरह नहीं है। इस बार ज्यादातर मरीजों को वैक्सीन नहीं लगी है और वो युवा हैं। कई की उम्र 20 से 30 साल के बीच है। यही नहीं, इस साल आ रहे युवा मरीज पिछले साल के युवा मरीजों के मुकाबले ज्यादा बीमार हैं और उनकी हालत तेजी से बिगड़ रही है। साफ है कि अमेरिका हो या भारत जैसा बड़ी आबादी वाला देश, तेज वैक्सीनेशन ही डेल्टा वैरिएंट के कहर से युवाओं को बचा सकता है।

पिछली बार आधे मरीज बुजुर्ग थे, इस बार 41% की उम्र 18 से 49 साल के बीच

अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल यानी CDC के मुताबिक जनवरी के अंत तक अस्पतालों में भर्ती सभी मरीजों में आधे से ज्यादा 65 साल से ज्यादा उम्र के थे। वहीं 50 साल से कम उम्र के वयस्क मरीजों का हिस्सा 22% था। अब 65 साल से अधिक उम्र के मरीज करीब 25% हैं, जबकि 18 से 49 साल की उम्र वाले मरीज 41% थे।

डॉक्टरों ने ऐसे मरीजों के लिए नया मुहावरा “younger, sicker, quicker” गढ़ा है। मतलब यह कि डॉक्टरों का कहना है कि नए मरीज युवा हैं, ज्यादा बीमार हैं और उनकी हालात तेजी से बिगड़ती है। ज्यादातर डॉक्टरों का मानना है कि इसके पीछे कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की खास भूमिका है। नए कोरोना केसों में डेल्टा वैरिएंट की हिस्सेदारी 80% से ज्यादा है।

न डायबिटीज न मोटापा, फिर भी गंभीर रूप से बीमार हो रहे युवा

लुइसियाना के बैटन रूज में ऐसे कई युवा बेहद गंभीर रूप से बीमार होकर अस्पतालों की इमरजेंसी डिपार्टमेंट में पहुंच रहे हैं जिन्हें कोरोना का जोखिम बढ़ाने वाली मोटापे या डायबिटीज जैसी कोई बीमारी नहीं है। इन मामलों में डॉक्टर यह पता नहीं लगा सके कि ये युवा इतने बीमार क्यों हैं। स्प्रिंगफील्ड के कॉक्सहेल्थ में क्रिटिकल केयर के डायरेक्टर डॉ. टेरेंस कूल्टर का कहना है कि “अस्पताल में भर्ती तमाम मरीजों को डायबिटीज, मोटापा और हाई ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियां हैं, लेकिन तमाम युवा मरीजों में इनमें से कोई बीमारी नहीं।” उनका कहना है, “यह वास्तव में मुझे डराता है। यह वैरिएंट युवा स्वस्थ लोगों को मार रहा है। ऐसे कई मरीजों को ठीक होने में लंबा समय लग रहा है और कई के फेफड़े हमेशा के लिए खराब हो रहे हैं।”

आधी से कम युवा आबादी का ही वैक्सीनेशन, बुजुर्गों का आंकड़ा 80%

अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) के आंकड़ों के मुताबिक रविवार तक 65 से 74 साल की उम्र के 80% से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की सभी डोज लग चुकी थीं, जबकि 18 से 39 साल की उम्र वाले आधे से कम युवाओं को ही यह वैक्सीन लगी है। अब तक वैक्सीन सभी कोरोना संक्रमितों को गंभीर रूप से बीमार होने से बचाने में कामयाब रही है। अस्पतालों में भर्ती 97% मरीज ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है।

डॉक्टर बोले- नए वैरिएंट में कुछ तो अलग, यह नया कोरोना है
बैटन रूज में अवर लेडी ऑफ द लेक रीजनल मेडिकल सेंटर में चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. कैथरी ओ’नील का कहना है, ” युवाओं को लेकर वायरस के इस वैरिएंट में कुछ तो अलग है। मुझे लगता है कि यह नया कोरोना है।”
यूनिवर्सिटी ऑफ अर्कांसस फॉर मेडिकल साइंसेज के चांसलर डॉ. कैम पैटरसन ने कहा- सर्दियों में अर्कांसस के UAMS मेडिकल सेंटर में भर्ती होने वाले कोरोना मरीजों की औसत आयु 60 साल थी जो इस समय 40 साल है। हमारा मानना है कि नौजवान पिछले दिनों से फैल रहे कोरोना वैरिएंट्स के मुकाबले डेल्टा वैरिएंट के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हैं।

दुनिया भर में अलग-अलग हुई स्टडीज में डेल्टा बेहद जानलेवा साबित
कई देशों में हुई स्टडी से यह पता चला है कि डेल्टा वैरिएंट युवाओं को गंभीर रूप से बीमार करने की वजह हो सकती है, लेकिन अभी तक ऐसा कोई निश्चित डेटा सामने नहीं आया है जो कह सके डेल्टा वैरिएंट युवाओं के लिए खतरनाक है।

CDC : छोटी माता जैसा संक्रामक पिछले दिनों सामने आए CDC के आंतरिक दस्तावेज में डेल्टा वैरिएंट को चिकनपॉक्स यानी छोटी माता की तरह संक्रामक बताते हुए उसे अल्फा या कोरोना के मूल वैरिएंट की तुलना में गंभीर रूप से बीमार करने वाला कहा गया था।स्कॉटलैंड : भर्ती होने की दोगुनी जरूरत द लैंसेट में पब्लिश हुई स्कॉटलैंड की एक स्टडी के मुताबिक कोरोना के शुरुआती अल्फा वैरिएंट के मुकाबले डेल्टा वैरिएंट का शिकार होने पर मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत दोगुनी हो जाती है।कनाडा : मौत की आंशका भी दोगुनी ऑनलाइन पोस्ट हो चुकी एक दूसरी रिसर्च में कनाडा के रिसर्चर्स का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट के चलते अस्पताल में भर्ती होने के साथ मौत की आंशका भी दोगुनी हो जाती है।सिंगापुर : ऑक्सीजन-ICU जरूरी द लैंसेट में पब्लिश होने वाली सिंगापुर की रिसर्च के मुताबिक डेल्टा वैरिएंट के मरीजों को ऑक्सीजन और इंटेंसिव केयर (ICU) की जरूरत कई गुना बढ़ने के साथ मौत की भी आशंका बढ़ जाती है।भारत: जोखिम में 45 से कम उम वाले भारत में ऑनलाइन पब्लिश हुई ऐसी ही एक स्टडी (medRxiv and bioRxiv) के मुताबिक दूसरी लहर के दौरान मरीजों की जान जाने की जोखिम बहुत ज्यादा थी, खासतौर पर जिनकी उम्र 45 साल से कम थी।

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