नई शिक्षा नीति विदेशी भाषाओं को भी सीखने के लिए करती है प्रोत्साहित : विदेश सचिव
नई दिल्ली। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा है कि सरकार की ओर से लाई गई नई शिक्षा नीति भारत में विदेशी भाषाओं को सीखने के लिए प्रोत्साहित करती है। उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादतर यूरोपीय भाषाएं जैसे फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश और पुर्तगाली हैं। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत और यूरोप के बीच आदान-प्रदान का भविष्य शानदार है।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मेयो कॉलेज, अजमेर और गेटे इंस्टीट्यूट द्वारा मनाए जाने वाले डे ऑफ लैंग्वेज पर दिए गए अपने संदेश में उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रवासी दुनिया भर में जाते हैं, जिससे विदेशी शिक्षण संस्थानों में भारतीय भाषाओं को सीखने की मांग पैदा हो रही है।
उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय साहित्यिक परंपराओं ने हाल के दिनों में भारत की सीमाओं से परे बहुत रुचि पैदा की है, और विदेशी विश्वविद्यालय संस्कृत और अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओं के लिए विभागों और चेयर की स्थापना कर रहे हैं।
विदेश सचिव ने कहा कि भाषाई रुझान विदेशी भाषाओं के प्रसार के साथ भारत के सुदूर कोनों तक पहुंचा रहा है और अंतर्राष्ट्रीय सामग्री कई भारतीय भाषाओं में स्थानीयकृत हो रही है। यहां तक कि प्रौद्योगिकी भी भारतीय भाषाओं की विविधता के अनुकूल होने लगी है।
उन्होंने कहा कि अब किसी भाषा को जानना केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि एक कौशल है और अब वैश्वीकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। यह बताता है कि क्यों भारतीय छात्र अपनी भाषाई जानकारी को विविध बना रहे हैं।
हर्षवर्धन ने अपने संदेश में कहा कि भारत और यूरोप दोनों भाषाई रूप से विविध भूमि हैं। अकेले भारत की संविधान में 22 अनुसूचित भाषाएँ हैं और एक हज़ार से अधिक मातृभाषाएँ हैं। यूरोपीय संघ में 24 आधिकारिक भाषाएं और कई अन्य भाषाएं और बोलियां हैं। भारत विभिन्न भाषा परिवारों का घर है। इंडो-यूरोपियन भाषा परिवार के अलावा, द्रविड़ियन, ऑस्ट्रिक और तिब्बती-बर्मन भाषा परिवार भारत को भी अपना घर कहते हैं।