राबड़ी निवास पर धूमधाम से हुआ नई दुल्हनिया का स्वागत
रशेल से राजश्री तक के सफर को लेकर हर ओर कई प्रकार की बातें
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने जिस लड़की से शादी रचाई है उसके धर्म से नाम तक में बार बार बदलाव की लंबी कहानी है. तेजस्वी ने हरियाणा मूल की रशेल गोडिन्हो से शादी की है. हालाँकि लालू परिवार की बहू बनने के बाद लड़की को नया नाम राजश्री दे दिया गया है. रशेल से राजश्री तक के सफर को लेकर हर ओर कई प्रकार की बातें कही जा रही है. अब बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने खुद एक एक बिंदु पर राजफाश किया है.
पिता राबड़ी-लालू इस शादी पर सहमत
तेजस्वी ने स्वीकार किया है कि उन्होंने अपनी मर्जी से राजश्री से विवाह किया है लेकिन परिवार की सहमति के बाद उन्होंने शादी की. उनके माता पिता राबड़ी-लालू इस शादी पर सहमत थे जिसके बाद उन्होंने एक पारिवारिक कार्यक्रम में कुछ निकटस्थ लोगों के बीच शादी की. उन्होंने साफ किया कि वे शादी समारोह को इवेंट और शक्ति प्रदर्शन नहीं बनाना चाहते थे बल्कि दोनों परिवार के लोग एक दूसरे को ठीक से जान लें इसके लिए निजी कार्यक्रम रखा गया था. अब पटना में एक बहुभोज की तैयारी है जिसकी तारीख अगले कुछ दिनों में तय की जाएगी. उस दौरान लालू यादव और तेजस्वी के असंख्य चाहने वालों को न्योता दिया जा सकता है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि रशेल गोडिन्हो इसाई है. कहा जा रहा है कि उन्होंने अपनी मर्जी से धर्म चुना था. हालाँकि तेजस्वी के साथ जब रशेल गोडिन्हो की शादी हुई तो पूरा विधि विधान हिंदू रीति रिवाज से हुआ. सबसे चौंकाने वाली बात रही कि शादी के बाद रशेल गोडिन्हो को लालू परिवार ने नया नाम भी दे दिया.
नई सुखद भोर की शुरुआत
अपनी पत्नी का नाम रशेल गोडिन्हो से राजश्री होने के मुद्दे पर तेजस्वी ने कहा कि यह नाम उनकी पत्नी ने चुना है लेकिन नाम उनके पिता लालू यादव ने अपनी बहू को सुझाया था. उनकी पत्नी ने स्वेच्छा से एक वैकल्पिक नाम, राजश्री चुना है. नया नाम चुनने पर तेजस्वी ने कहा कि रशेल गोडिन्हो नाम पुकारे जाने में बिहार के लोगों को असुविधा होती इसे देखते हुए उनकी पत्नी ने स्वेच्छा से राजश्री नाम चुना. लालू यादव के घर नई बहू आने की खुशी उनके परिवार में देखी जा रही है. तेजस्वी की बहन रोहिणी आचार्य ने ट्वीट कर फोटो के साथ लिखा, रिश्तों की नई डोर है, ख़ुशियों की भोर है. यह रिश्ता प्रेम, अपनत्व, भरोसे, अपनापन का संगम है. यह एक नई सुखद भोर की शुरुआत है. एक नए सपने की शुरुआत है. यह ज़िम्मेदारी और नए एहसास का सफ़र है. यह समय है ख़ुशियों में शरीक होने का. यह समय है एक बेटी के कदमों को घर में पूजने का.