नेपाल के लोगों ने माना, चीन ने उनकी 150 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा किया
काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के चुप्पी और चीन के इनकार करने के बाद आखिरकार गांव वालों ने यह माना है कि चीन नेपाल की 150 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर चुका है ।
ब्रिटेन के द टेलीग्राफ के रिपोर्ट के अनुसार चीन ने मई में नेपाल के पांच सीमावर्ती जिलों के आरक्षित क्षेत्रों में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों को भेज कर उनकी भूमि पर कब्जा करना शुरू कर दिया था ।
हूमला जिले में पीएलए के सैनिक लिमि घाटी और हिलसा के क्षेत्रों में घुस गये और पत्थरों द्वारा निर्मित खंभों को खिसका दिया, जिससे कि पहले सीमा निर्धारित की गई थी। इसके बाद कथित रूप से मिलिट्री बेस बनाया गया।
पीएलए के सैनिकों ने कथित रूप से गोरखा जिले में भी सीमा को नेपाली क्षेत्रों के तरफ खिसका दिया । इसी प्रकार चीनी इंजीनियरों ने तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन में बह रही नदी जो कि प्राकृतिक सीमा का काम कर रही थी, उसके रास्ते को बदल दिया और नेपाल के डूबे हुए क्षेत्रों पर अपना कब्जा कर लिया। इन क्षेत्रों में रसुवा, सिंधुपालचौक और शंकुबसावा जिले हैं।
हालांकि चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि नेपाल की भूमि पर चीनी कब्जे की बात कोरी अफवाह है।
टेलीग्राफ ने एक प्रवक्ता की बातों का हवाला देते हुए कहा कि यह बातें किसी भी तरह के तथ्यों पर आधारित नहीं है बल्कि एक अफवाह भर है। हालांकि मंगलवार को नेपाल के स्थानीय लोगों ने चीनी कब्जे की पुष्टि की है।
लिमि घाटी के पलजोर लामा ने कहा कि नेपाल की भूमि जो सैकड़ों सालों से नेपाल के लोग इस्तेमाल कर रहे थे आज वह चीनी कब्जे में है।
हिलसा, जहां की 70 हेक्टेयर भूमि पर चीन ने जून में कब्जा कर लिया था वहां के कर्मतंडुब लामा ने कहा कि लाम जान पहाड़ी के नजदीक भी चीन की पीएलए ने कब्जा किया ।
इसी तरह की चालबाजी चीन ने तब दिखाई थी, जब उसके सैनिक जून में भारत के लद्दाख क्षेत्र में घुस आए थे ।
जापानी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स के वरीय फेलो मोनिका चन्सोरिया के अनुसार नेपाली क्षेत्र में चीन का लगाव बिल्कुल भी अचंभित करने वाला नहीं है, क्योंकि चीन का दक्षिण एशिया में विस्तारवादी रवैया जग जाहिर है ।
डॉ मोनिका ने माओत्से-तुंग ( पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के पूर्व अध्यक्ष) की फाइव फिंगर पॉलिसी को याद किया, जिसमें उन्होंने 1950 में तिब्बत में कब्जा जमा कर कहा था कि तिब्बत बस पंजा का हथेली भर है अभी 5 उंगली बाकी है । उनके अनुसार पांच उंगली में पहला लद्दाख का क्षेत्र उसके बाद नेपाल, भूटान, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश है, जहां चीन को कब्जा करना था। लगता है माओत्से-तुंग का कहना अब सच साबित हो रहा है।
फिलहाल, नेपाल के स्थानीय लोगों की पुष्टि करने के बाद अब सरकार का क्या रवैया रहता है, यह भविष्य में पता चलेगा।