J&K में आरक्षण नीति में सुधार की आवश्यकता: मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के निवास के बाहर प्रदर्शन
J&K में आरक्षण नीति को लेकर हाल ही में एक गंभीर बहस छिड़ी हुई है। कल कश्मीरी नेताओं और नागरिकों ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के निवास के बाहर एक बड़ा प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने आरक्षण नीति में तत्काल बदलाव की मांग की।
J&K में आरक्षण नीति को लेकर हाल ही में एक गंभीर बहस छिड़ी हुई है। कल कश्मीरी नेताओं और नागरिकों ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के निवास के बाहर एक बड़ा प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने आरक्षण नीति में तत्काल बदलाव की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने यह चिंता जताई कि मौजूदा आरक्षण प्रणाली राज्य के छात्रों और युवाओं के लिए अवसरों को सीमित कर रही है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी अपील की कि जम्मू के लोग इस मुद्दे को और आगे बढ़ाएं, ताकि राज्य के युवाओं को बेहतर अवसर मिल सकें और उन्हें विदेशों में नौकरी की तलाश में न जाना पड़े।
आरक्षण नीति में सुधार की आवश्यकता
J&K में आरक्षण प्रणाली पिछले कुछ समय से विवाद का विषय रही है। राज्य में विभिन्न समुदायों के लिए आरक्षण की सीमा 50% से अधिक हो गई है, जो भारतीय संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि किसी भी राज्य में आरक्षण की सीमा 50% से अधिक नहीं हो सकती, लेकिन जम्मू और कश्मीर में यह सीमा लगातार बढ़ती जा रही है। इसके परिणामस्वरूप, राज्य के योग्य और प्रतिभाशाली युवाओं को उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों में अवसरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यह जरूरी है कि आरक्षण नीति में सुधार किया जाए और 50% की सीमा का पालन किया जाए।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ प्रदर्शन
कल, J&K के विभिन्न हिस्सों से आए कश्मीरी नेताओं और नागरिकों ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के निवास के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि राज्य के सरकारी नौकरी और शिक्षा के अवसरों पर वर्तमान आरक्षण नीति का नकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि आरक्षण की अधिक सीमा ने राज्य के प्रतिभाशाली छात्रों और युवाओं को अवसरों से वंचित कर दिया है, और इस कारण उन्हें बेहतर भविष्य के लिए विदेशों में पलायन करना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने उमर अब्दुल्ला से इस मुद्दे पर ध्यान देने और आरक्षण की सीमा को 50% तक सीमित करने की मांग की।
जम्मू के नागरिकों से अपील
प्रदर्शन के दौरान कश्मीरी नेताओं ने जम्मू के नागरिकों से भी अपील की कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और इसे आगे बढ़ाएं। उनका कहना था कि राज्य के युवा अपनी प्रतिभा और मेहनत से उच्च शिक्षा और नौकरियों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन मौजूदा आरक्षण नीति उन्हें पीछे खींच रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आरक्षण की सीमा को नहीं घटाया गया, तो राज्य के युवा बेहतर अवसरों की तलाश में विदेशों की ओर रुख करेंगे, जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन या कनाडा।
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J&K में आरक्षण नीति में सुधार की आवश्यकता अब एक अहम मुद्दा बन चुका है। सरकार और नेताओं को इस बात पर विचार करना चाहिए कि कैसे राज्य के युवाओं को उचित अवसर मिल सकें, ताकि वे अपने राज्य में ही आगे बढ़ सकें और राज्य की प्रगति में अपना योगदान दे सकें। यह समय है जब सभी को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए, ताकि राज्य के युवाओं को अपना भविष्य संवारने के लिए राज्य से बाहर न जाना पड़े।