NASA के इनसाइट मिशन ने किया मंगल की आंतरिक संरचना का खुलासा
इस समय अंतरिक्ष अनुसंधान में मंगल ग्रह (Mars) पर सबसे ज्यादा शोध हो रहे हैं. मंगल पर जाने के संभावनाओं पर मंथन जारी है. वहां पर बस्ती बसाने तक के प्लान बन रहे हैं. सूक्ष्मजीवन के खोजने के हर संभव प्रयासों को टटोला जा रहा है. कई रोवर वहां पर अपने अपने तरीके से खोजबीन में लगे हुए हैं. इसमे नासा सबसे आगे है. नासा (NASA) के इनसाइट मिशन (InSight Mission) के सीजमोमीटर से पता लगे मंगल के दर्जनों भूकंप के अध्ययनों से अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम ने मंगल ग्रह की आंतरिक संचरना का विस्तार से पता लगाया है.
भूकंपों की जानकारी
इन भूकंपों की जानकारी के बारे में इनसाइट रोवर के खास उपकरण वेरी ब्रॉड बैंड SEIS सीजमोमीटर का उपयोग किया गया था जो फ्रांस में विकसित हुआ था. साइंस जर्नल में 23 जुलाई को प्रकाशित तीन शोधपत्रों में वैज्ञानिकों ने मंगल की आंतरिक संरचना के बारे में विस्तृत जानकारी दी.
यह पहली बार है जब वैज्ञानिकों ने लाल ग्रह के क्रोड़, उसकी पर्पटी और उसके मैंटल के आकार और संरचना की जानकारी निकाली. इसके लिए वैज्ञानिकों ने उन भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण किया, जो ग्रह के आंतरिक भागों से प्रतिबिंबित होकर आई थीं जिन्हें इनसाइट के सीजमोमीटर ने पकड़ा था. इस तरह से यह मंगल की आंतरिक भागों का पहले भूकंपीय अन्वेषण है.
मंगल के निर्माण की मिलेगी जानकारी
यह अध्ययन मंगल ग्रह के निर्माण और उसके ऊष्मीय विकास को समझने की दिशा में बहुत अहम कदम है. इससे पहले मंगल की आंतरिक संरचना के बारे में कम जानकारी थी जो मंगल का चक्कर काट रहे उपग्रहों से मिली जानकारी और पृथ्वी पर मंगल के गिरे उल्कापिंडों से हासिल किए गए आंकड़ों के मॉडलों के आधार पर मिली थी.
अलग अलग मोटाई मिली थी क्रोड़ की
केवल गुरुत्व और भौगोलिक आंकड़ों के ही आधार पर मंगल के क्रोड़ की मोटाई 30 से 100 किलोमीटर तक आंकी गई थी. जबकि ग्रह के जड़त्व आवेग और घनत्व के आधार पर क्रोड़ की त्रिज्या या रेडियस 1400 से 2000 किमी तक पता लगी. लेकिन मगंल की पर्पटी, मैटल और क्रोड़ की गहराइयां और सीमाओं की जानकारी नहीं मिल सकी थी.
दो साल तक जमा किए आंकड़े
वैज्ञानिक मंगल पर आए भूकंपों से दो साल तक जानकारी लेते रहे और आंकड़ों का विश्लेषण लेते रहे. मंगल की संचरना के बारे में जानकारी के लिए मंगल पर एक से अधिक स्थानों पर भूकंपीय तरंगों की जानकारी लेना जरूरी था. लेकिन मंगल पर इनसाइट एक ही स्थान पर है. इस लिए शोधकर्ताओं ने भूकंपीय तरंगों की विशेषताओं का विश्लेषण शुरू किया जो अलग अलग हिस्सों से अंतरक्रिया होने पर बनती हैं.
और यह चुनौती भी
शोधकर्ताओं ने मंगल की आंतरिक संरचना की मिनिरिलॉजिकल और थर्मल मॉडलिंग का उपयोग किया. इस पद्धति ने प्लैनेटरी सीजमोलॉजी या ग्रहीय भूकंप विज्ञान के नए आयाम खोले हैं. पृथ्वी पर भूकंप मापी यंत्र जमीन के अंदर होते हैं और वायुमंडल के प्रभाव से मुक्त होते हैं जबकि मंगल पर ऐसा नहीं हैं इसलिए वहां के आंकड़ों पर खास ध्यान देने की जरूरत थी. वैज्ञानिकों की एक टीम ने तरंगों के आंकड़ों के स्पष्ट करने का काम अलग से किया.
शोधकर्ताओं ने पाया कि पर्पटी से होते हुए जब तरंगे आती हैं तो उनमें अनियमितता होती है. 10 किलोंमीटर की दूरी पर संचरना में बदलाव के संकेत मिले. इसके बाद 20 किलोमीटर और तीसरी बार 35 किलोमीटर पर बदलाव के संकेत मिले. शोधकर्ताओं ने इन बदलावों की तुलना पृथ्वी के बदलावों से की. इसी तरह शोधकर्ताओं ने मैंटल के बारे में अलग अलग वेगों से आने वाली तरंगों के आधार पर पता लगाया. वहीं तीसरे अध्ययन में उन्होंने मंगल की क्रोड़ की भी जानकारी हासिल की और पाया की क्रोड़ की त्रिज्या 1790से 1870 किलोमीटर की है.