चुनाव से पहले उत्तराखंड की सियासत पर छाए नारायण दत्त तिवारी
देहरादून. उत्तराखंड में चुनावी माहौल के बीच नारायण दत्त तिवारी के याद के दिन के मौके पर कांग्रेस ने तो याद किया ही, भाजपा ने भी तिवारी को श्रद्धांजलि देते हुए मास्टर स्ट्रोक खेलने की कोशिश की. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने एक अहम औद्योगिक क्षेत्र का नाम तिवारी के नाम पर रखने के दांव से आगामी चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने की कवायद की तो कांग्रेस ने इसे बीजेपी का चुनावी एजेंडा करार दिया. 18 अक्टूबर 1925 को पैदा हुए और 18 अक्टूबर 2018 को दुनिया छोड़कर गए नारायण दत्त तिवारी इस साल कैसे उत्तराखंड की सियासत के केंद्र में आ गए, देखिए.
क्या अपने, क्या बेगाने, जयंती और पुण्य तिथि पर तिवारी को सबने याद किया. देहरादून में मुख्यमंत्री धामी ने तिवारी की फोटो पर फूल चढ़ाए, तो हल्द्वानी में पूर्व सीएम हरीश रावत ने तिवारी की तस्वीर को धूप दिखाई. यशपाल आर्य ने भी पुष्पांजलि दी, तो देहरादून में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी अपने नेता को याद किया. लेकिन उससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने मास्टर स्ट्रोक खेला और पंतनगर के इंडस्ट्रियल एरिया का नाम कांग्रेस की सियासत की धुरी रहे नारायण दत्त तिवारी के नाम पर रख दिया.
एनडी तिवारी के गढ़ में सियासत
उत्तरप्रदेश रहा हो या उत्तराखंड, नैनीताल और उधमसिंहनगर को नारायण दत्त तिवारी की राजनीति का गढ़ कहा जाता है. ऐसे में माना जा रहा है कि पंतनगर सिडकुल को तिवारी के नाम करके बीजेपी नैनीताल व ऊधमसिंह के तराई के इलाकों में वोट को साधना चाहती है. यहां से यशपाल आर्य भी बीजेपी के पाले से खिसक चुके हैं और मुख्यमंत्री धामी यहीं से विधायक हैं. बीजेपी को इसमें फायदा दिखता है, तो कांग्रेस सवाल खड़े कर रही है.
नारायण दत्त तिवारी की सियासत कांग्रेस की रही और 21 साल के उत्तराखंड में उन्हें ‘विकास पुरुष’ कहा जाता है, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस को तिवारी की याद 2022 चुनाव से ठीक पहले आई है. इसके राजनीतिक अर्थ क्या निकलेंगे और तिवारी के नाम से किसे ज़्यादा फायदा होगा, यह चर्चा उत्तराखंड के सियासी हलकों में चल रही है.