100 साल बाद सुलझा मिश्र के रेगिस्तान में मिले चमत्कारी कांच का रहस्य
वैज्ञानिकों ने मिस्त्र के रेगिस्तान में मिले कांच की उत्पत्ति का रहस्य सुलझा लिया है। इस रहस्यमयी कांच की उत्पत्ति किसी वायुमंडलीय प्रभाव की जगह उल्का पिंड के प्रभाव से हुई थी। दरअसल, वैज्ञानिक egypt के रेगिस्तान से मिले इस कांच की उत्पत्ति का रहस्य पिछले 100 सालों से सुलझाने का प्रयास कर रहे थे। बता दें कि यह रहस्यमयी कांच पश्चिमी मिस्त्र के रेगिस्तानों में कई हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में पाए जाते हैं।
जानकारी के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में कर्टिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने लीबिया के रेगिस्तान में मिले कांच के नमूनों की जांच की। जांच परिणाम के अनुसार इन नमूनों(कांच) का निर्माण लगभग 2.9 करोड़ साल पहले हुआ था। ये कांच जिरकॉन (मिनरल) के छोटे-छोटे दानों से मिलकर बने हैं। कर्टिन विश्वविद्यालय के आरोन कैवोसी के अनुसार, इस कांच में मौजूद जिरकॉन एक उच्च दबाव वाले खनिज(रिडाइट) की पूर्व उपस्थिति का प्रमाण है। जबकि रिडाइट केवल उल्का पिंड के प्रभाव से ही बनता है।
कैवोसी के मुताबिक ‘यह बहस का विषय है कि इस कांच का निर्माण उल्का पिंड के प्रभाव से हुआ है या एयरबर्स्ट से।’ क्षुद्र ग्रह (एस्टरॉयड) जब फटकर पृथ्वी के वातावरण में ऊर्जा जमा करते हैं, उसे एयरबर्स्ट कहा जाता है। आरोन ने बताया कि, ‘दोनों ही स्थितियों में पिघलने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। लेकिन सिर्फ उल्का पिंड के प्रभाव से ही कंपन लहरें उत्पन्न होती हैं जिससे उच्च दबाव वाले मिनरल का निर्माण होता है।’ उन्होंने कहा कि कांच में मौजूद पूर्व रीडाइट के अंश स्पष्ट करते हैं कि इसका निर्माण उल्का पिंड के प्रभाव की वजह से हुआ था।
उन्होंने आगे बताया कि एक बड़े वायुमंडलीय एयरबर्स्ट के चलते कांच के निर्माण का विचार साल 2013 में रूस में हुए एक नाटकीय एयरबर्स्ट के बाद लोकप्रिय हुआ। इस नाटकीय एयरबर्स्ट में बड़े स्तर पर जानमाल को क्षति पहुंची थी। हालाँकि इससे पृथ्वी-सामग्री नहीं पिघली थी। कैवोसी ने कहा कि पुराने मॉडल के तहत लीबियाई रेगिस्तान में पाए कांच लगभग 100 मेगाटन के एयरबर्स्ट का उल्लेख करते हैं। जबकि उनके परिणाम कुछ और ही कहते हैं।