बनारस के मुस्लिम युवक ने गंगाजल से लिखा, श्रीमद्भागवत गीता..
उत्तर प्रदेश –इंसानी दिमाग की आदत चीजें भूल जाने की भी है।शायद इसलिए पूर्वजों ने शोधों से निकली जन हितैषी जानकारियां किताब-ग्रंथों के माध्यम से सहेज दीं ताकि भावी पीढ़ियों के लिए वे मैनुअल की तरह काम करें। जीवन में जब भी किसी समस्या का समाधान मिलता न दिखे, हर तरफ से नाउम्मीदी हाथ लगे और इंसाम सोचे कि अब क्या करें तो वह उन पन्नों को खोलकर देख ले और निदान पा ले।ऐसा ही कुछ मामला उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में देखने को मिला के एक मुस्लिम युवक ने सफेद सूती कपड़े की बड़ी चादर पर गंगा की मिट्टी और पानी का उपयोग कर में श्रीमद भगवद् गीता लिखी है। वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी कलात्मक कृतियों का तोहफा देना चाहते हैं।
कपड़ा दुकानदार इरशाद अली ने सूती कपड़े पर पवित्र कुरान, हनुमान चालीसा और अन्य धार्मिक ग्रंथों को भी इसी शैली में लिखा है।इरशाद ने कहा जब मैं 14 साल का था, तब मैंने शव को दफनाने से पहले कफन पर डालने के लिए आधे मीटर के कपड़े के टुकड़े पर शाहदतेन लिखना शुरू किया था।यह घोषित करना कि केवल एक ही ईश्वर है, अल्लाह, और मुहम्मद उनके दूत हैं।
लिखने का जुनून और बढ़ गया, और मैंने पवित्र कुरान को कपड़े पर लिखने का फैसला किया। गंगा की मिट्टी जाफरान और गोंद से बनी स्याही से कुरान के सभी 30 पैराग्राफ को पूरा करने में लगभग छह साल लग गए।
इस भारी-भरकम किताब की बाइडिंग के लिए मशहूर बनारसी सिल्क ब्रोकेड का इस्तेमाल किया गया है।
श्रीमद्भगवद् गीता को उसी शैली और आकार में लिखने के लिए, उन्होंने इस काम के लिए स्याही तैयार करने के लिए गंगा जल के साथ गंगा मिट्टी और गोंद का इस्तेमाल किया।
उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता को समझने के लिए संस्कृत सीखी।