Mumbai प्रेस क्लब का राहुल गांधी पर प्रतिक्रिया: पत्रकारों को ‘गुलाम’ कहने पर आलोचना
Mumbai में एक चुनावी रैली के दौरान पत्रकारों को "अपने मालिकों के गुलाम" कहे जाने के बाद मुंबई प्रेस क्लब ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र Mumbai में एक चुनावी रैली के दौरान पत्रकारों को “अपने मालिकों के गुलाम” कहे जाने के बाद मुंबई प्रेस क्लब ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। प्रेस क्लब ने राहुल गांधी के इस बयान को “पत्रकारों के प्रति उनका उच्च मनोबल और तानाशाही रवैया” बताया और कहा कि उनका यह बयान चिंताजनक है, क्योंकि इससे यह सवाल उठता है कि यदि कांग्रेस सत्ता में लौटती है, तो वह प्रेस को कैसे देखेगी।
राहुल गांधी ने रैली में कहा था, “यह उनकी गलती नहीं है। मैं उन्हें पसंद करता हूं, लेकिन उन्हें काम करना है, अपनी तनख्वाह लेनी है, बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठाना है, घर में खाना लाना है, इसलिए वे अपने मालिकों के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते।” उनके इस बयान के बाद पत्रकारों और मीडिया संगठनों ने इसे लेकर आपत्ति जताई।
Mumbai पत्रकारों के प्रति राहुल गांधी का तंज
Mumbai प्रेस क्लब ने राहुल गांधी के बयान को “सहानुभूति का मुखौटा” और “घृणा से भरी” टिप्पणी बताया। क्लब ने कहा कि राहुल गांधी ने पत्रकारों की स्थिति पर सहानुभूति जताते हुए यह बयान दिया, लेकिन उनका यह बयान “सर्वोत्तम तिरस्कार” से भरा हुआ था। प्रेस क्लब ने आरोप लगाया कि आज पत्रकारों की कठिनाइयाँ मुख्य रूप से कॉन्ट्रैक्ट आधारित रोजगार की नीतियों के कारण हैं, जो कांग्रेस की पिछली सरकारों की नीतियों से प्रेरित हैं।
कॉन्फ्रैक्ट और बेरोज़गारी के मुद्दे पर सवाल
Mumbai प्रेस क्लब ने राहुल गांधी से पूछा कि क्या उन्होंने कभी यह सोचा है कि पत्रकारों को आज जो मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं, उनका कारण क्या है? क्लब ने यह भी कहा कि पत्रकारों की नाजुक स्थिति का मुख्य कारण “कॉन्ट्रैक्टुअलाइजेशन” (ठेके पर काम देना) है, जो 1980 और 1990 के दशक में कांग्रेस सरकार की नीतियों के परिणामस्वरूप बढ़ा था। उस समय से पहले, पत्रकारों ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया था, जिसमें यूनियन बनाना और बेहतर कार्य स्थितियां प्राप्त करना शामिल था, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट आधारित व्यवस्था ने पत्रकारों को असुरक्षित बना दिया और मीडिया हाउसों को उनकी छंटनी करने की स्वतंत्रता दी।
राहुल गांधी के बयान पर व्यापक प्रतिक्रिया
राहुल गांधी के बयान के बाद, कई पत्रकारों और मीडिया संस्थाओं ने इस पर तीव्र प्रतिक्रिया दी है। उन्हें आरोपित किया गया है कि वह पत्रकारों की संघर्षशील स्थिति पर ध्यान देने के बजाय उन्हें “गुलाम” के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। प्रेस क्लब ने यह भी कहा कि यह बयान केवल “कांग्रेस की नीतियों की आलोचना” से ध्यान हटाने का प्रयास था, जो पत्रकारों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं।
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Mumbai प्रेस क्लब ने राहुल गांधी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और यह सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस ने पत्रकारों की वर्तमान स्थिति पर कभी विचार किया है। क्लब ने कहा कि पत्रकारों की मुश्किलों का समाधान केवल तब संभव है जब मीडिया हाउसों और सरकार द्वारा श्रमिक अधिकारों की रक्षा की जाए, न कि उन्हें “गुलाम” समझकर।