आरे के जंगलों की कटाई के बीच मुंबई मेट्रो चीफ का अजीबोगरीब बयान
उत्तरी मुंबई में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई के विरोध में पूरा महाराष्ट्र एक साथ खड़ा है। ऐसे में मेट्रो डिपो बनाने के लिए करीब 2500 पेड़ों की कटाई पर मुंबई मेट्रो चीफ अश्विनी भिडे ने अजीब बयान दिया है। उन्होंने कहा, ‘कई बार सृजन के लिए विनाश जरूरी हो जाता है।’ ऐसे में आँखे मूंदे बैठी सरकार से सभी भारतवासी पूरी दुनिया को शर्मिंदा करने वाली ग्रेटा के शब्दों में कहना चाहते हैं कि ‘हम आपको माफ नहीं करेंगे।’
मुंबई मेट्रो चीफ अश्विनी भिडे ने ट्वीट कर लिखा, ‘कभी-कभी कुछ नया निर्माण करने के लिए कुछ चीजों का विनाश करना पड़ता है। इससे नए जीवन और नए निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त होता है।’ भिडे ने यह बात अपने ट्विटर हैंडलर पर मराठी (Marathi)और अंग्रेजी (English) भाषा में लिखी। बता दें कि शनिवार को आरे कॉलोनी (Aarey Colony) में पेड़ काटने के खिलाफ हजारों की तादात में पर्यावरण प्रेमी और स्थानीय लोग सड़क पर उतर आए और सरकार के फैसले का विरोध किया। इसके बाद प्रशासन ने इलाके में धारा 144 (Section 144) लगा दी थी। साथ ही 29 लोगों को सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
https://twitter.com/AshwiniBhide/status/1180726178404896773
क्या है हाल ? देखिये आंकड़े
गौरतलब है कि आरे कॉलोनी के इस जंगल को मुंबई के हरे फेफड़े भी कहा जाता है। मुंबई मेट्रो के निर्माण के चलते आरे कॉलोनी में से 2700 पेड़ों को काटा गया है। जहाँ एक तरफ महानगरी मुंबई में एक दिन सांस लेना 10 सिगरेट का धुआँ भरने के बराबर है, वहां एक साथ 2700 पेड़ काटे जाने से मुंबई का जलवायु पूरी तरह से तबाह होने की कगार पर पहुँच सकता है। पर्यावरणविदों के अनुसार इन पेड़ों की वजह से बारिश का पानी रुकता है। अगर पेड़ नहीं होंगे तो बारिश का अतिरिक्त पानी मीठी नदी में जाएगा और इससे मुंबई के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास के इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा होगा।
वही अगर देश की बात करे, तो विश्वगुरु के सपने देख रहे भारत में प्रति व्यक्ति पेड़ों की संख्या विश्व पटल पर सबसे कम हैं। उल्लेखनीय है कि दुनिया के जिन देशों में क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग का सबसे खराब असर पड़ने के अनुमान हैं, उनमें भारत का नाम शामिल है। स्टेट ऑफ एन्वायरनमेंट की 2019 की रिपोर्ट की मानें तो 2001 से 2018 के बीच भारत हर साल 17.6 लाख हेक्टेयर की हरियाली खो रहा है। लेकिन भारत में जंगल के कानूनों को लेकर मुद्दे बेहद उलझे हुए हैं।
अमेज़न को लेकर ब्राज़ील सरकार जैसा ही बर्ताव आरे जंगल को लेकर भारत सरकार कर रही है
आदिवासियों के अधिकार, जंगल सुरक्षा और तस्करी से जुड़े कई मोर्चों पर देश लगातार समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में किसी विकास या उद्योग के लिए आरे जैसे ग्रीन ज़ोन में हज़ारों पेड़ काटे जाने का मतलब देश को खतरे में डालना है। लेकिन भारत सरकार भी इस समय ब्राज़ील सरकार(अमेज़न जंगलों की आग) की तरह सो रही है। ऐसे में देश के लोग पूरी दुनिया को शर्मिंदा करने वाली ग्रेटा के शब्दों को एक बार फिर भारत सरकार को याद दिलाना चाहते हैं।
पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के मंच से 15 साल की ग्रेटा (Greta Thunberg) ने कहा था : ‘आप हमें छल रहे हैं, लेकिन हम नौनिहालों को आपका कपट समझ में आने लगा है। मुझे कहना है कि ‘हम आपको कभी माफ नहीं करेंगे’।’