जाने नेताजी के जीवन में क्या है साइकिल का महत्व!
नेताजी अपने आखिरी वक्त में भी सिर पर लाल टोपी पहने नज़र आए, जायस बात है मुलायम सिंह यादव का अपनी पार्टी से लगाव बेशुमार था । लाल टोपी और साइकिल ही उनकी पहचान थी
समाजवादी पार्टी के संस्थापक नेताजी मुलायम सिंह यादव ने 10 अक्टूबर को दुनिया को अलविदा कह दिया है , नेताजी काफी समय से बीमार चल रहे थे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में नेताजी का काफी लंबे वक्त से इलाज चल रहा था लेकिन 10 अक्टूबर 08:16 बजे उन्होंने अपनी आखिरी सांसें ली।
नेताजी अपने आखिरी वक्त में भी सिर पर लाल टोपी पहने नज़र आए, जायस बात है मुलायम सिंह यादव का अपनी पार्टी से लगाव बेशुमार था । लाल टोपी और साइकिल ही उनकी पहचान थी ऐसे में आइए जानते है की मुलायम सिंह यादव के जीवन में क्या है साइकिल का महत्व!
साल 1960, समाजवादी पार्टी का चेहरा और मुखिया मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के इटावा में जब कॉलेज की पढ़ाई कर रहे थे, तब उन्हें रोजाना करीब 20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। मुलायम के घर की आर्थिक हालात इतनी ठीक नहीं थी कि वह एक साइकिल खरीद पाते। पैसों की कमी के चलते वह मन मसोस कर रह जाते थे और कॉलेज जाने के लिए संघर्ष करते थे।
कहते हैं, जो चीज सच्चे मन से चाहो तो सारी कायनात उसे दिलाने में जुट जाती है, कुछ ऐसा ही उस दिन हुआ जब मुलायम सिंह अपने बचपन के दोस्त के साथ उस गांव में पहुंचे।
आत्मकथा पर आधारित फ्रैंक हुजूर की किताब द सोशलिस्ट के मुताबिक मुलायम अपने बचपन के दोस्त रामरूप के साथ एक दिन किसी काम से उजयानी गांव पहुंचे।
मुलायम और रामरूप भी ताश के खेल में शामिल हो गए। वहीं, गांव गिंजा के आलू कारोबारी लाला रामप्रकाश गुप्ता भी ताश खेल रहे थे। गुप्ता जी ने खेल में शर्त रख दी कि जो भी जीतेगा उसे रॉबिनहुड साइकिल दी जाएगी। मुलायम के लिए गुप्ता की शर्त उनका सपना पूरा करने का जरिया बनी। मुलायम ने बाजी जीती और इसी के साथ रॉबिन हुड साइकिल भी। मुलायम साइकिल पर ऐसे सवार हुए कि जब 4 नवंबर 1992 को समाजवादी पार्टी बनी तो साइकिल उसका चुनाव चिन्ह बनाई गई।