इस “डर” के चलते खुद ही रिहाई नही चाहते महबूबा उमर!
कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के तुरंत बाद वहां के स्थानीय नेता मेहबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्लाह को नज़रबंद कर दिया गया था। सुरक्षा का हवाला देकर पिछले 20 दिनों से कश्मीरी नेताओं को नजरबंद किया हुआ था। इन नेताओं के साथ कश्मीर की जनता भी घाटी में प्रतिबंधों से परेशान है। हालाँकि अब ये नेता हिरासत से बाहर आने को राज़ी नहीं हैं।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने सशर्त रिहाई के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। यह नेता शांति भंग न करने की गारंटी नहीं दे रहे हैं और इसीलिए बेल बॉन्ड भी नहीं भर रहे हैं। जानकारी के अनुसार, राज्यपाल प्रशासन की ओर से उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से कहा गया था कि वे अनुच्छेद 370 को कमज़ोर किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन नहीं करेंगे और लोगों को इकट्ठा न करे। यदि वे ये शर्त मानते हैं तो उन्हें नज़रबंद नहीं रखा जाएगा। नेताओं ने ये बॉन्ड भरने से मना कर दिया है। माना जा रहा है कि बदली परिस्थितियों में यह लोगों का सामना करने को तैयार नहीं हैं, इसलिए इस मसले को और लटकाना चाहते हैं। इसके बाद प्रशासन ने श्रीनगर के राज बावन के पास सरकारी गेस्ट हाउसों में उमर और महबूबा की नजरबंदी को बढ़ा दिया है। इनमें उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से लेकर सज्जाद गनी लोन तक शामिल हैं।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक संसद में पेश होने से पूर्व ही एहतियात के तौर पर नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी, माकपा, पीपुल्स कांफ्रेंस समेत कश्मीरी सियासी दलों के प्रमुख नेताओं व कार्यकर्ताओं को एहितयातन हिरासत में ले लिया गया। सरकार की नज़रबंदी में रहते हुए उमर अब्दुल्लाह जिम और मेहबूबा मुफ़्ती किताबों के बीच समय बिताते थे।