सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने विपक्ष पर साधा निशाना
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने बुधवार को अपने संसदीय क्षेत्र में निषाद समुदाय के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की घटना को गम्भीरता से लेते हुए विपक्ष को इस पर राजनीति नहीं करने की सलाह दी है।
डा जोशी ने यहां जारी बयान में यमुनापार के निषाद समुदाय के उत्पीड़न, कष्ट और दुःख पर विपक्षी दलो की सियासत की निन्दा करते हुए अफसोस जताया। उन्होने कहा कि कांग्रेस महासचिव प्रिंयका गाँधी समेत अन्य विपक्षी दलों के नेता पीड़ितों के घावों को कुरेदने लाव.लश्कर लेकर पहुँचते है और झूठे आश्वासन एवं फोटो सेशन कराकर उन्हें गुमराह करते हैं,फिर गायब हो जाते हैं। वाड्रा समेत अन्य विपक्षी नेताओं पर पलटवार करते हुए उन्होने कहा कि पूंजीपतियों का लाभ पहुंचाने का भ्रामक प्रचार करने वाले नेता शायद यह भूल गए कि गरीबों और कमजोर वर्ग की अनदेखी कर उनके शासन काल में जो संस्थागत भ्र्रष्टाचार एवं लूट का कलंकित इतिहास रचा गया था,उसी का नतीजा है कि कांग्रेस 30 वर्षों से और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) 10 वर्षों उत्तर प्रदेश में सत्ता से बाहर है तथा समाजवादी पार्टी (सपा) को 2017 में करारी हार का सामना करना पडा था।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की सरकार गरीब एवं निर्बल वर्ग के कल्याण और आम भारतीयों के जीवन स्तर के सुधारने के लिए अपने शासन काल में जो कार्य कर रही है, वह हताश और पराजित कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की सरकारों ने अपने दशकों के शासन काल में नहीं कर सकी थी।
डा जोशी ने निषाद समुदाय से मुलाकात कर विश्वास दिलाया कि उनकी रोजी रोटी की समस्या एवं हितों का समाधान होगा। इसके लिए वे अगामी सात मार्च से सात अप्रैल के बीच होने वाले लोकसभा सत्र के दौरान गम्भीर पहल करेंगी और पुनः स्थानीय निषाद नेतृत्व से मिलकर उनकी तत्कालिक समस्या का शीघ्र समाधान करेंगी।
गौरतलब है कि चार फरवरी को घूरपुर थाना क्षेत्र के बसवार गाँव में यमुना किनारे कथित अवैध बालू खान की शिकायत पर चार फरवरी को पुलिस, प्रशासन और खनन विभाग की संयुक्त टीम ने मौके पर पहुंचकर खनन में लिप्त नावों को तोड़ दिया था। इस पर ग्रामीण उग्र हो गए। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इसमें महिलाओं समेत कई ग्रामीण चोटिल हो गए। ग्रामीणों का आरोप था कि पुलिस ने खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई न करके छोटे नाविकों की 16 नावों को तोड़ दिया था।
इसी मामले में रविवार को बसवार गांव पहुंची प्रियंका गांधी ने सहजता और अपनापन जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बसवार गांव की उत्तर पट्टी पुरवा में जहां मछुआरों का दु:खडा सुनने के लिए कुर्सी लगाई गयी थी। वहां वह न/न बैठकर सीधे पीडित मछुआरों की महिलाओं और बेटियों के बीच जमीन पर बैठकर बारी बारी से पुलिसिया जुल्म की कहानी सुनी। उन्होने उनकी इस लडाई को सड़क से संसद तक लड़ने का आश्वासन दिया था।