सिंधिया को हराने का जिम्मेदार माना जा रहा है सांसद केपी को, कांग्रेस मोके की तलाश में ….
अशोकनगर : कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया की परंपरागत सीट रही गुना से अगर डॉ. केपी यादव से सबा लाख वोटों से न सिंधिया पराजित होते और न शायद सिंधिया अपनी ही सरकार को दलबदल कर गिराते और न मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार बनती।सिंधिया द्वारा अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस सरकार गिराए जाने के अब पश्चात सभी सीटों पर उपचुनाव के पहले ही तरह-तरह के चुनावी नजारे दिखाई सुनाई पड़ रहे हैं।
प्रदेश की रिक्त 28 सीटों में से 16 सीटों पर उप चुनाव ग्वालियर संसदीय सीटों पर होना है, जिनमें से 5 सीटें गुना संसदीय क्षेत्र की भी मुख्य सीटें हैं, जो कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया का परंपरागत गढ़ रहा है। अपने परम्परागत गढ़ में लोकसभा में जनता द्वारा सबा लाख वोटों से हारने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगता है भाजपा में शामिल होकर राज्य सभा पहुंचने के बाद अभी भी अपनी हार का गम वे भुला नहीं पा रहे हैं।
सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद जो राजनैतिक घटनाक्रम सामने आ रहे हैं, उससे यही प्रतीत होता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के इशारे पर शिवराज सरकार अब डॉ.केपी को सिंधिया को हराने का गुनहगार मान बैठी है, सिंधिया को सबा लाख वोटों से पराजित करने वाले सांसद डॉ.केपी यादव को अब स्वयं शिवराज सरकार और उनका प्रशासन शायद अपना नहीं मान रहे हैं पूरे गुना-अशोकनगर-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में ऐसा महसूस किया जा रहा है कि सांसद डॉ. केपी यादव मोदी सरकार की संसद के अंग न होकर कोई अन्य पार्टी अथवा निर्दलिय सांसद हों? इस तरफ न तो संगठन और सरकार द्वारा कोई गंभीरता से देखा जा रहा है, इस कारण से पूरे संसदीय क्षेत्र में अजीवो-गरीब स्थिति बन हुई है।
हाल ही का वाकिया शुक्रवार को देखने में आया यहां शिवराज सरकार के सहकारिता मंत्री अरविन्द भदौरिया अपने सरकारी कार्यक्रम के तहत आत्मनिर्भर भारत कृषक सहकारी सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि आए। जिसकी जानकारी सूचना के तौर पर कार्यालय मंत्री, सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन विभाग-भोपाल से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा जिला अध्यक्ष सहित ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद राज्यसभा से लेकर सभी को प्रेषित पत्र से अवगत कराया गया पर सांसद केपी यादव को किसी प्रकार की जानकारी से प्रेषित पत्र में हवाला तक नहीं दिया गया।
आखिर सिंधिया को पराजित करने वाले सांसद डॉ.केपी यादव के साथ उनके साथ इस प्रकार के अपमान जनक व्यवहार का यह कोई पहला वाकिया नहीं बल्कि इससे पूर्व भी गत 10 सितम्बर को संसदीय क्षेत्र के बामौरी में प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया द्वारा किए गए एक सडक़ निर्माण के भूमिपूजन कार्यक्रम में शिलालेख पर सांसद डॉ.केपी यादव के नाम का उल्लेख न होते हुए राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य के नाम के उल्लेख होने पर सोशल मीडिया पर हुई किरकिरी पर प्रधानमंत्री सडक़ निर्माण के प्रबंधक के विरुद्ध आनन-फानन में निलंबन की कार्रवाई की गई थी।
सांसद यादव के साथ शिवराज सरकार के शासन और प्रशासन द्वारा इस तरह के घटनाक्रम सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बन रहे हैं, जिससे इस तरह के घटनाक्रमों से जहां शिवराज सरकार पर उंगलियां उठ रहीं हैं तो उप चुनावों में कांग्रेस ऐसे मौके की तलाश में भी बैठी दिखाई दे रही है।