मध्य प्रदेश सरकार पर लगा घटिया राशन बांटने का ठप्पा, कांग्रेस बोली जानवर के लायक था खाना !

मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण काल में राशन दुकानों से बांटा गया चावल घटिया क्वालिटी का निकाला है. यह खुलासा केंद्र सरकार की रिपोर्ट से पता चला है । केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को एक पत्र लिखकर बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकारी राशन दुकानों से वितरित चावल इंसानों के खाने योग्य नहीं था । वह पोल्ट्री ग्रेड का चावल था, जो इंसानों को पीडीएस के तहत बांटा गया । केंद्र सरकार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 30 जुलाई से 2 अगस्त के बीच में 32 सैंपल चावल के लिए गए थे । इसमें कुछ सैंपल वेयरहाउस और कुछ राशन दुकानों से लिए गए थे. इन्‍हें दिल्ली की सीजीएएल लैब में जांच के लिए भेजा गया था ।

 

लैब की रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी सैंपल इंसानों के उपभोग करने योग्य नहीं थे, जो चावल सप्लाई किया गया वह पोल्ट्री ग्रेड का था । केंद्र की रिपोर्ट के खुलासे के बाद राज्य में सियासत गरमा गई है । एमपी कांग्रेस ने प्रदेश की बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण काल के दौरान गरीबों को घटिया चावल देने का काम किया है, जो कि जानवरों के खाने लायक था । कांग्रेस ने इस पूरे मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है ।

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मध्य प्रदेश की कुल आबादी का 75 फीसदी हिस्सा खाद्यान्न सुरक्षा के दायरे में आता है । एक रिपोर्ट के अनुसार बताया जा रहा है की 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में 25 हजार से ज्यादा राशन की दुकाने हैं, जिनके माध्यम से 1 करोड़ 17 लाख, यानी लगभग पांच करोड़ छह लाख से ज्यादा हितग्राहियों को एक रुपये किलोग्राम के हिसाब से गेहूं और चावल मुहैया कराया जा रहा है ।

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